नयी दिल्ली, 10 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज एक धनशोधन मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को जमानत देने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने ईडी की अपील को खारिज करते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर संज्ञान लिया, जो जांच एजेंसी की ओर से पक्ष रख रहे थे। पीठ ने कहा कि याचिका में उठाये गये कानूनी मुद्दों को एक उचित मामले में निर्णय के लिए ‘खुला रखा’ जा सकता है।
पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता की ओर से पक्ष रख रहे सॉलिसीटर जनरल की बात सुनकर और रिकॉर्ड में रखी गयी सामग्री को ध्यान से देखने के बाद हमें प्रतिवादी संख्या 1 (दीपक कोचर) को जमानत देने के उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप की कोई वजह नहीं लगती।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तदनुसार विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है। इसी श्रृंखला में लंबित वादकालीन आवेदन को भी निस्तारित किया जाता है। हालांकि, एक उचित मामले में फैसले के लिए कानून का प्रश्न खुला हुआ है।’’
बंबई उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश की पीठ ने पिछले साल 25 मार्च को धनशोधन मामले में कोचर को जमानत दी थी और कहा था कि उनके ‘‘फरार होने या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ की’’ संभावना नहीं है।
मुंबई की एक विशेष अदालत ने दिसंबर 2020 में कोचर की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उच्च न्यायालय ने कोचर को धनशोधन रोकथाम कानून के तहत मामलों में सुनवाई कर रही विशेष अदालत में अपना पासपोर्ट जमा करने और जांच में सहयोग करने को कहा था।
ईडी ने कथित आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन धनशोधन मामले में सितंबर 2020 में कोचर को पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तार किया था।
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