देश की खबरें | न्यायालय ने अपनी प्रेमिका के दो नाबालिग बच्चों के अपहरण और हत्या के आरोप से व्यक्ति को बरी किया

नयी दिल्ली, चार मई उच्चतम न्यायालय ने दो नाबालिग बच्चों के अपहरण और हत्या के दोषी और 20 साल के कठोर कारावास की सजा पाए पंजाब के एक व्यक्ति को बुधवार को बरी कर दिया।

शीर्ष अदालत ने कहा कि जब दोषसिद्धि पूरी तरह से परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित होती है, तो ऐसे साक्ष्य और परिस्थितियों की श्रृंखला एक सजा को बनाए रखने के लिए पर्याप्त निर्णायक होनी चाहिए।

न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति विनीत सरन की पीठ ने कहा कि रवींद्र सिंह उर्फ काकू नाम के व्यक्ति की सजा केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित है और दोषसिद्धि को कायम रखने के लिए यह जरूरी है कि परिस्थितियों की श्रृंखला पूरी, ठोस और सुसंगत हो।

उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करते हुए पीठ ने कहा, “जिन परिस्थितियों से अभियुक्त के अपराध के बारे में अनुमान लगाया गया है, उन्हें उचित संदेह से परे साबित किया जाना चाहिए और उन परिस्थितियों से अनुमानित मुख्य तथ्य का निकटता से जुड़ाव होना चाहिए।”

पीठ ने कहा, “वर्तमान मामले के तथ्यों पर उपरोक्त स्थापित कानून को पूरी तरह से लागू करने पर, हम मानते हैं कि वर्तमान अपीलकर्ता यानी ए 2 (काकू) के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य बच्चों की हत्या करने में काकू के अपराध को निर्णायक रूप से स्थापित नहीं करते हैं।”

न्यायालय ने कहा कि आरोपी की गिरफ्तारी, सामग्री की बरामदगी था तथा पेश की गई कॉल डिटेल निर्णायक तौर पर साक्ष्य श्रृंखला को पूरा नहीं करते और इस तथ्य को स्थापित नहीं करते कि ए2 ने पीडब्ल्यू5 (बच्चों के पिता) के बच्चों की हत्या की है।

पीठ ने कहा, इसके अतिरिक्त, पंजाब पुलिस का तर्क है कि ए1 (बच्चों की मां) और ए2 द्वारा उपयोग किए गए फोन से संबंधित कॉल विवरण ने स्थापित किया है कि उनके अंतरंग संबंध थे और यह संबंध अपराध का मूल कारण भी बन गया। पीठ ने कहा कि यह “स्वीकृति के योग्य” नहीं है।

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