तिरुवनंतपुरम/कासरगोड, 31 मार्च केरल में सात साल पहले मस्जिद के अंदर मदरसा शिक्षक की हत्या से संबंधित मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन कार्यकर्ताओं को हाल ही में बरी किए जाने को लेकर कांग्रेस ने रविवार को प्रदेश की वाम मोर्चा सरकार पर निशाना साधा और पुलिस एवं अभियोजन पर मामले को सही तरीके से नहीं संभालने का आरोप लगाया.
कांग्रेस ने पूछा कि क्या उन्हें लोकसभा चुनाव के तहत आरएसएस और मार्क्सवादी पार्टी के बीच “गुपचुप समझौते” के चलते छोड़ा गया है.राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीशन और केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के कार्यवाहक अध्यक्ष एम.एम. हसन ने मुख्यमंत्री व गृह मंत्री पिनराई विजयन से उन परिस्थितियों को स्पष्ट करने का आग्रह किया जिनके कारण आरएसएस कार्यकर्ताओं को बरी कर दिया गया.
हसन ने कहा, “मुख्यमंत्री को पुलिस और अभियोजन पक्ष द्वारा की गई गंभीर खामियों पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए क्योंकि अदालत ने खुद जांच की तीखी आलोचना की है.”उन्होंने एक बयान में कहा कि क्या आरएसएस और मार्क्सवादी पार्टी के बीच "गुप्त समझौते" के कारण कार्यकर्ताओं को रिहा किया गया.सतीशन ने मामले में पुलिस जांच और अभियोजन की भी आलोचना की और कहा कि उन्होंने सत्तारूढ़ वाम दलों की जानकारी में गंभीर चूक की है.
दरअसल एक अदालत ने 2017 में जिले की एक मस्जिद के अंदर मदरसा शिक्षक की हत्या से संबंधित मामले में शनिवार को आरएसएस के तीन कार्यकर्ताओं को बरी कर दिया.
कासरगोड प्रधान सत्र न्यायालय के न्यायाधीश के.के. बालकृष्णन ने मामले में केलुगुडे के तीनों निवासियों अखिलेश, निधिन और अजेश को बरी किया.उल्लेखनीय है कि ‘मुअज्जिन’ (अजान देने वाला व्यक्ति) और पास के चूरी में स्थित मदरसे के शिक्षक मोहम्मद रियास मौलवी (34) की 20 मार्च, 2017 को मस्जिद में उनके कमरे में हत्या कर दी गई थी.
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