नयी दिल्ली, 13 मार्च : हालिया विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त का सामना करने के बाद कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक रविवार को होगी जिसमें हार के कारणों की समीक्षा और आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी. वहीं कांग्रेस पार्टी ने उन खबरों का खंडन किया जिसमें कहा गया था कि गांधी परिवार के सदस्य सभी संगठनात्मक पदों से इस्तीफा दे देंगे. सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी रविवार को शाम चार बजे यहां पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस की शीर्ष नीति निर्धारक इकाई सीडब्ल्यूसी बैठक की अध्यक्षता करेंगी. सीडब्ल्यूसी की बैठक ऐसे समय होने जा रही है जब कांग्रेस ने पंजाब में सत्ता गंवा दी और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भी उसे करारी हार का सामना करना पड़ा है.
सोनिया गांधी पिछले कुछ समय से सक्रिय रूप से प्रचार नहीं कर रही हैं, प्रियंका गांधी वाद्रा के अलावा राहुल गांधी कांग्रेस के स्टार प्रचारक रहे हैं. साथ ही भाई-बहन की जोड़ी पार्टी के महत्वपूर्ण फैसलों में भी प्रमुख भूमिका निभाती है. उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय प्रचार अभियान के बावजूद, राज्य में कांग्रेस 403 विधानसभा सीटों में से केवल दो पर जीत हासिल कर सकी. कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी भी कम होकर 2.33 प्रतिशत हो गई और उसके अधिकतर उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. पार्टी की 2019 के आम चुनावों में लगातार दूसरी हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष के रूप में फिर से पार्टी की बागडोर संभाली थी. उन्होंने ने भी अगस्त 2020 में पार्टी नेताओं के एक वर्ग ‘जी-23’ द्वारा खुले विद्रोह के बाद पद छोड़ने की पेशकश की थी लेकिन सीडब्ल्यूसी ने उनसे पद पर बने रहने का आग्रह किया था.
इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की करारी हार के बाद पार्टी के ‘जी 23’ समूह के कई नेताओं ने शुक्रवार को भी बैठक की जिसमें आगे की रणनीति को लेकर चर्चा की गयी. राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के आवास पर हुई इस बैठक में कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा और मनीष तिवारी शामिल हुए. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस कार्य समिति में शामिल 'जी 23' के नेता सीडब्ल्यूसी की बैठक में चुनावी हार का मुद्दा और पार्टी संगठन में जरूरी बदलाव और जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपनी पुरानी मांग उठा सकते हैं. ‘जी 23' समूह के प्रमुख सदस्य गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा कांग्रेस कार्य समिति में शामिल हैं. हालांकि, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने उन खबरों को रविवार को ‘‘गलत और शरारती’’ करार देते हुए खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि गांधी परिवार के सदस्य पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे देंगे. उन्होंने पार्टी में किसी बड़े बदलाव को खारिज कर दिया. उन्होंने ट्विटर पर कहा कि कथित इस्तीफे की खबरें अनुचित, शरारती और गलत हैं.
सुरजेवाला ने कहा, ‘‘एक टीवी चैनल के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर काल्पनिक स्रोतों से निकलने वाली इस तरह की निराधार दुष्प्रचार कहानियों को प्रसारित करना अनुचित है.’ लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मणिकम टैगोर ने कहा, ‘‘अफवाह फैलाने वालों के चेहरे कल लटक जाएंगे.’’ इस बीच, पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बजट सत्र के दूसरे हिस्से के लिए रणनीति पर चर्चा करने के वास्ते रविवार सुबह अपने आवास पर पार्टी के संसदीय रणनीति समूह की बैठक बुलाई है. बजट सत्र का दूसरा हिस्सा सोमवार शुरू हो रहा है. गांधी कांग्रेस के संसदीय दल की अध्यक्ष भी हैं. कांग्रेस के ‘जी 23’ समूह में शामिल नेताओं ने अगस्त, 2020 में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में सक्रिय अध्यक्ष और संगठन में आमूल-चूल परिवर्तन की मांग की थी. इस समूह के दो नेता जितिन प्रसाद और योगानंद शास्त्री अब कांग्रेस छोड़ चुके हैं. यह भी पढ़ें : Gokulpuri Fire: कई परिवारों ने प्रियजनों को खोया, संपत्ति भी जलकर खाक हो गई
जी-23 नेताओं ने पिछले विधानसभा चुनावों के बाद सुधारात्मक उपायों का सुझाव दिया था, जब कांग्रेस पुडुचेरी में चुनाव हार गई थी और केरल, असम और पश्चिम बंगाल में कोई अच्छा प्रदर्शन करने में असफल रही, लेकिन उस मोर्चे पर बहुत कम काम हुआ. इन नेताओं ने सीडब्ल्यूसी की महत्वपूर्ण बैठक से पहले अपनी रणनीति तैयार करने के लिए वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के आवास पर शुक्रवार शाम को मुलाकात की थी. सूत्रों ने कहा कि इन नेताओं ने पार्टी की हार पर हैरानी जतायी. सूत्रों ने कहा कि इन नेताओं ने कांग्रेस को मजबूत करने के कदमों पर चर्चा की, जो ‘‘और भी अधिक कमजोर" हो गई है. सीडब्ल्यूसी के सदस्य मुकुल वासनिक ने शुरू में समूह की ओर से गांधी को लिखे एक पत्र पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन तब से उन्होंने उससे दूरी बना ली है.
सूत्रों ने कहा कि नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व द्वारा पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए कोई कदम नहीं उठाने पर भी निराशा व्यक्त की. सूत्रों के अनुसार कुछ नेता इस बात से चिंतित थे कि असम, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी में पार्टी के नुकसान का मूल्यांकन करने के लिए गठित समिति की रिपोर्ट पर चर्चा तक नहीं की गई. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने पीटीआई- से टेलीफोन पर बातचीत में स्वीकार किया कि कांग्रेस संगठनात्मक कमजोरी के कारण हार गई, लेकिन कहा कि पार्टी नेतृत्व में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है. चौधरी ने कहा, 'हमारी पार्टी में संगठनात्मक कमजोरी है और यही वजह है कि हम हारे हैं.'