देश की खबरें | यूजीसी के नियुक्ति नियमों के बारे में झूठ फैला रही है कांग्रेस: प्रधान

नयी दिल्ली, 13 जनवरी केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कांग्रेस पर हमला करते हुए उस पर यूजीसी द्वारा जारी भर्ती मानदंडों के मसौदे के बारे में “झूठ फैलाने” का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा कि राज्यपालों द्वारा विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति की प्रथा आजादी के पहले से ही चली आ रही है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पिछले सप्ताह मसौदा नियम जारी किए, जिसमें सहायक प्रोफेसर और कुलपतियों की भर्ती में बड़े बदलाव का प्रस्ताव है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया था कि यूजीसी मसौदा विनियम, 2025, राज्य के राज्यपालों को कुलपति नियुक्तियों पर व्यापक नियंत्रण देता है और गैर-शैक्षणिक लोगों को इन पदों पर रहने की अनुमति देता है। उन्होंने इसे “संघवाद और राज्य के अधिकारों पर सीधा हमला” करार दिया।

मसौदा नियमों के अनुसार, उद्योग विशेषज्ञों के साथ-साथ लोक प्रशासन, सार्वजनिक नीति और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के वरिष्ठ पेशेवर जल्द ही कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र हो सकते हैं। मसौदा मानदंडों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए कुलाधिपति या विजिटर्स को तीन सदस्यीय खोज-सह-चयन समिति गठित करने का अधिकार भी दिया गया है।

प्रधान ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “यूजीसी विनियम 2010 हो, 2018 हो या वर्तमान 2025 के यूजीसी विनियम हों सभी में ये स्पष्ट है कि कुलाधिपति/विजिटर ही कुलपति नियुक्त करते हैं। जहां तक राज्यपालों द्वारा कुलपति की नियुक्ति की जिम्मेदारियों के निर्वहन का सवाल है, तो ये एक ऐसी प्रथा है जो देश की स्वतंत्रता से भी पहले से चली आ रही है।”

उन्होंने कहा, “यूजीसी विनियम 2025 की चयन समिति संरचना वास्तव में यूजीसी विनियम 2010 का ही प्रारूप है। इसमें शिक्षकों व अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और उच्च मानकों को बनाए रखने के लिये चयन समिति का गठन हुआ है।”

कांग्रेस पर “झूठ फैलाने” का आरोप लगाते हुए मंत्री ने कहा, “देश का युवा शिक्षित हो, देश का विकास हो यह कांग्रेस को कभी मंजूर नहीं हो सकता। इसीलिए शिक्षा जैसे मुद्दे पर भी भ्रम फैलाकर युवाओं को बरगलाकर देश में अशांति फैलाने की चाह रखना ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित पूरी कांग्रेस पार्टी की नीति बन चुकी है।”

प्रधान ने कहा, “जहां तक ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ की बात है तो, कांग्रेस पार्टी को देश के युवाओं सहित सभी वर्गों द्वारा दिल से स्वीकार की गई ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ से इसलिए समस्या है क्योंकि इसमें भारतीयता के अंश हैं। यह वही पार्टी है जिसने दशकों तक सत्ता में रहते हुए भारतीय शिक्षा प्रणाली को कमजोर किया और हमारी गौरवशाली सांस्कृतिक धरोहर को पाठ्यपुस्तकों से मिटाने का काम किया।”

उन्होंने कहा, “इसलिए तथ्यों को समझे बिना कांग्रेस पार्टी को सिर्फ आलोचना के लिए आलोचना करने की अपनी नीति बदलनी चाहिए और एक परिवार की चिंता छोड़कर देश के युवाओं की चिंता करनी चाहिए।”

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