नयी दिल्ली, 25 सितंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के नाम पर करने की घोषणा की।
आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 93वीं कड़ी में अपने विचार साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि एक कार्यबल मध्य प्रदेश के कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाए गए अफ्रीकी चीतों की निगरानी कर रहा है और उसकी रिपोर्ट के आधार पर तय होगा कि आम जन इन चीतों का दीदार कब से कर पाएंगे।
मोदी ने कहा, ‘‘भगत सिंह की जयंती के ठीक पहले उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप एक महत्वपूर्ण निर्णय किया गया है। यह तय किया है कि चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम अब शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा।’’
चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के लोगों को बधाई देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसकी लंबे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी।
शहीद भगत सिंह की जयंती 28 सितंबर को मनाई जाती है। 28 सितंबर की ही रात को भारतीय सेना के जवानों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में दाखिल होकर आतंकी शिविरों पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की थी।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों को इसकी याद दिलाते हुए कहा कि ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ वे दो शब्द हैं जिससे देशवासियों का जोश चार गुना ज्यादा बढ़ जाएगा।
कुनो राष्ट्रीय उद्यान में छोड़े गए अफ्रीकी चीतों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि देश के कोने-कोने से लोगों ने भारत में चीतों के लौटने पर खुशी जताई है।
उन्होंने कहा कि यह भारत का ‘प्रकृति प्रेम’ ही है कि 130 करोड़ भारतवासी खुश हैं और गर्व महसूस कर रहे हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘एक कार्यबल बनाया गया है। यह कार्यबल चीतों की निगरानी करेगा। यह देखा जाएगा कि यहां के माहौल में ये चीते कितने घुल-मिल पाए हैं। इसी के आधार पर कुछ महीने बाद कोई निर्णय लिया जाएगा और तब आप चीतों को देख पाएंगे।’’
प्रधानमंत्री ने चीतों के लेकर सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान और चीतों के नाम को लेकर भी देशवासियों से सुझाव मांगे।
मोदी ने भारत के तटीय क्षेत्रों में पर्यावरण से जुडी चुनौतियों पर चिंता जताई और कहा कि जलवायु परिवर्तन समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है तो दूसरी ओर समुद्री तटों पर फैली गंदगी परेशान करने वाली है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम इन चुनौतियों के लिए गंभीर और निरंतर प्रयास करें।’’
इस क्रम में प्रधानमंत्री ने उन प्रयासों का भी उल्लेख किया जिनके जरिए देश के तटीय क्षेत्रों को स्वच्छ बनाया जा रहा है।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान का भी जिक्र किया और कहा कि पिछले कुछ सालों में यह त्योहारों के साथ देश का एक नया संकल्प बन गया है। उन्होंने कहा कि यही वजह ही त्योहारों की खुशी में अपने स्थानीय कारीगरों, शिल्पकारों और व्यापारियों को भी देशवासी शामिल करते हैं।
उन्होंने दो अक्टूबर को गांधी जयंती के मौके पर इस अभियान को और तेज करने का संकल्प लेने का आह्वान किया तथा देशवासियों से खादी, हथकरघा और हस्तशिल्प जैसे उत्पादों के साथ स्थानीय सामान जरूर खरीदने का आग्रह किया।
मोदी ने कहा, ‘‘आखिर इस त्योहार का सही आनंद भी तब है, जब हर कोई इस त्योहार का हिस्सा बने। इसलिए, स्थानीय उत्पाद के काम से जुड़े लोगों को हमें सहयोग भी करना है। एक अच्छा तरीका ये है कि त्योहार के समय हम जो भी उपहार भेंट करें, उसमें इस प्रकार के उत्पादों को शामिल करें।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस समय यह अभियान इसलिए भी ख़ास है, क्योंकि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य लेकर देश आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने देशवासियों से पॉलीथिन की जगह जूट, सूत और केले से बने पारंपरिक थैलों को बढ़ावा देने का अनुरोध किया और कहा कि इस दौरान वे स्वच्छता के साथ अपने और पर्यावरण के स्वास्थ्य का भी ख्याल रखें।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान सांकेतिक (साइन लैंग्वेज) का भी विशेष जिक्र किया और कहा कि पिछले सात-आठ साल पहले इस बारे में शुरू किए गए अभियान का लाभ लाखों दिव्यांगों को होने लगा है।
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