नयी दिल्ली/चेन्नई, एक अप्रैल तमिलनाडु ने शुक्रवार को केंद्र से अनुरोध किया कि वह राज्य की बकाया करीब 20 हजार करोड़ रुपये की राशि जारी करे। तमिलनाडु ने कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से राज्य को अपनी स्वास्थ्य सेवा को अद्यतन करने के लिए और राशि खर्च करने की जरूरत है।
नयी दिल्ली के आधिकारिक दौरे पर आए राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को एक ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें जीएसटी क्षतिपूर्ति सहित लंबित देनदारियों को रेखांकित किया गया है।
ज्ञापन में कहा गया कि केंद्र पर राज्य का 20,860.40 करोड़ रुपये बकाया है जिनमें से 13,504.74 करोड़ रुपये की राशि जीएसटी क्षतिपूर्ति के मद से भी मिलनी है।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु मौजूदा समय में कोविड-19 से राहत मिलने के बावजूद ‘गंभीर वित्तीय समस्या’ का सामना कर रहा है क्योंकि राजस्व संग्रह बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
स्टालिन ने कहा, ‘‘महामारी ने राज्य की स्वास्थ्य अवसंचना बढ़ाने, चिकित्सा उपकरणों और दवाओं पर खर्च करने की जरूरत बढ़ा दी है और इसके साथ ही आबादी के असुरक्षित वर्ग के लिए कल्याणकारी योजना संचालित करने की आवश्यकता भी बढ़ गई है।’’
केंद्र की देनदारियों के बारे में स्टालिन ने कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) एरियर के तौर पर वित्त मंत्रालय को सबसे अधिक 13,504.74 करोड़ रुपये की राशि देनी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को 2,203.25 करोड़ रुपये की राशि मिल से प्राप्त चावल की सब्सिडी के तौर पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं जनवितरण विभाग से प्राप्त करनी है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि शिक्षा विभाग को भी सर्वशिक्षा अभियान के तहत मानव संसाधन विकास मंत्रालय से 2,109.08 करोड़ रुपये का अनुदान प्राप्त करना है।
उन्होंने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से जीएसटी क्षतिपूर्ति प्राप्त करने की अवधि भी बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो राज्य को करीब 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
उल्लेखनीय है कि जीएसटी क्षतिपूर्ति की अवधि इस साल 30 जून को समाप्त हो रही है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)