नयी दिल्ली, 16 मई रबी विपणन सत्र के दौरान सरसों सहित कुछ कृषि उपज का किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिल पाने की रिपोर्टों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि यदि इस तरह की कोई शिकायत है तो संबंधित राज्य सरकारों से इस बारे में पूछताछ की जा सकती है। सरकार किसान की हरसंभव मदद के लिये तैयार है।
सीतारमण ने आर्थिक पैकेज की चौथी कड़ी की घोषणा के दौरान एक सवाल के जवाब में यह बात कही। उनसे पूछा गया था कि सरकार के फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किये जाने के बावजूद किसानों को यह दाम नहीं मिल पाता है। खासतौर से सरसों तिलहन उगाने वाले किसानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘बाजार मूल्य से जब दाम नीचे गिर जाता है तो सरकार एमएसपी पर खरीदारी कर किसान को सही दाम दिलाने का प्रयास करती है। यदि किसी राज्य में एमएसपी नहीं दिया जाता है तो उस राज्य से पूछताछ की जा सकती है। सरकार किसान की मदद के लिये हर संभव तैयार है और कदम उठा रही है।’’
बाजार के जानकार कहते हैं कि देश में गेहूं और धान की खरीदारी तो बड़े पैमाने पर एमएसपी पर होती है लेकिन तिलहन के मामले में किसानों को एमएसपी नहीं मिल पाता है। सरकारी एजेंसियां तिलहन की मात्र 10 से 15 प्रतिशत ही खरीदारी करती है, शेष बाजार के भरोसे छोड़ दिया जाता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अर्थव्यवस्था में स्थानीय स्तर पर विनिर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने और देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में 20 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज घोषित किया। इस पैकेज के तहत किसानों की आय बढ़ाने के लिये कई उपायों की घोषणा की गई है। अनाज, दाल, खाद्य तेल, तिलहन को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से मुक्त करने का फैसला किया गया है ताकि किसान अपनी उपज को पसंद के बाजार में ऊंचे दाम पर बेच सके।
सरसों के लिये चालू रबी मौसम में 4,425 रुपये क्विंटल का एमएसपी तय किया गया है, लेकिन उपलब्ध बाजार भाव के अनुसार दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की मंडियों में खुले में सरसों का भाव 3,800 से लेकर 4,100 रुपये क्विंटल के बीच ही बोला जा रहा है। वहीं जिंस वायदा बाजारों में मई डिलीवरी हाजिर भाव 4,210 रुपये, जून के लिये 4,215 रुपये और जुलाई के लिये 4,210 रुपये क्विंटल बोला जा रहा है। इस भाव में 5 से 7 प्रतिशत के खर्चे भी शामिल होते हैं इसलिये वास्तविक प्राप्ति इससे कम होती है।
देश में खाद्य तेलों की भारी कमी है, यही वजह है कि सरकार हर साल तिलहन के एमएसपी बढ़ाकर घोषित करती है, लेकिन वायदा बाजार की मार के कारण बाजार एमएसपी तक नहीं पहुंच पाता है। जानकारों का मानना है कि या तो सरकार वायदा बाजार से तिलहन के कारोबार को समाप्त कर दे या फिर इसमें सौदे एमएसपी से नीचे भाव पर नहीं होने की शर्त लगा दी जानी चाहिये।
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