नयी दिल्ली, छह नवंबर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ‘डमी’ विद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बुधवार को 21 विद्यालयों की संबद्धता वापस ले ली और छह स्कूलों का उच्चतर माध्यमिक का दर्जा घटाकर माध्यमिक कर दिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि यह कदम सितंबर में राजस्थान और दिल्ली के विद्यालयों में किए गए औचक निरीक्षण के बाद उठाया गया है, जिसमें कई खामियां पाई गई थीं।
सीबीएसई सचिव हिमांशु गुप्ता ने कहा, ‘‘डमी या बिना-उपस्थित प्रवेश का चलन स्कूली शिक्षा के मूल उद्देश्य के विपरीत है तथा इससे छात्रों के आधारभूत विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस मुद्दे के समाधान के लिए हम डमी विद्यालयों के प्रसार को रोकने के लिए निर्णायक कदम उठा रहे हैं, तथा सभी संबद्ध संस्थानों को स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि वे डमी या बिना-उपस्थित प्रवेश स्वीकार करने के प्रलोभन का विरोध करें।’’
उन्होंने कहा कि निरीक्षण के दौरान पाई गई अनियमितताओं के संबंध में औचक निरीक्षण समितियों की महत्वपूर्ण टिप्पणियां संबंधित विद्यालयों को प्रेषित की गई।
गुप्ता ने कहा कि निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि स्कूल बोर्ड की संबद्धता और परीक्षा उपनियमों के अनुसार छात्रों की नियमित उपस्थिति के मानदंडों को पूरा किया जाए।उन्होंने कहा कि सीबीएसई ने इस बात पर जोर दिया कि डमी या गैर उपस्थित स्कूल शैक्षणिक ईमानदारी को नुकसान पहुंचाते हैं और उक्त विद्यालयों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब देने के लिए 30 दिन का समय दिया।
गुप्ता ने कहा, ‘‘ विद्यालयों द्वारा प्रस्तुत जवाबों की बोर्ड द्वारा विस्तार से जांच की गई। निरीक्षण निष्कर्षों और वीडियोग्राफी साक्ष्यों के आधार पर, 21 विद्यालयों की संबद्धता रद्द कर दी गई और छह विद्यालयों को उच्चतर माध्यमिक से माध्यमिक स्तर पर 'डाउनग्रेड' किया गया।’’
उन्होंने बताया कि जिन 21 विद्यालयों की संबद्धता रद्द की गई है, उनमें से 16 दिल्ली में हैं, जबकि पांच राजस्थान के कोचिंग केंद्र कोटा और सीकर में हैं।
बड़ी संख्या में छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए डमी विद्यालयों में दाखिला लेना पसंद करते हैं, ताकि वे केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकें। वे कक्षाओं में नहीं जाते और सीधे बोर्ड परीक्षा देते हैं।
छात्र इसलिए भी डमी विद्यालयों का चुनाव करते हैं क्योंकि उनका उद्देश्य कुछ राज्यों के मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में उपलब्ध कोटा पर होता है। उदाहरण के लिए, जिन अभ्यर्थियों ने दिल्ली में कक्षा 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी की है, उन्हें दिल्ली राज्य कोटे के तहत राष्ट्रीय राजधानी के इंजीनियरिंग और चिकित्सा महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए पात्र माना जाता है।
इस वर्ष की शुरुआत में सीबीएसई ने ‘डमी’ छात्रों और अयोग्य उम्मीदवारों को दाखिला देने वाले 20 विद्यालयों की संबद्धता रद्द कर दी थी।
सीबीएसई ने दिल्ली के जिन विद्यालयों की संबद्धता वापस ली है उनमें नरेला के खेमो देवी पब्लिक स्कूल और द विवेकानंद स्कूल; अलीपुर का संत ज्ञानेश्वर मॉडल स्कूल; सुल्तानपुरी रोड का पी डी मॉडल सेकेंडरी स्कूल, कंजावला का सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल; राजीव नगर एक्सटेंशन स्थित राहुल पब्लिक स्कूल; चंदरविहार स्थित भारती विद्या निकेतन पब्लिक स्कूल; बापरोला स्थित आरडी इंटरनेशनल स्कूल; मदनपुर डबास स्थित हीरा लाल पब्लिक स्कूल; मुंगेशपुर का बीआर इंटरनेशन स्कूल; ढांसा रोड स्थित केआरडी इंटरनेशनल स्कूल और मुंडका स्थित एम आर भारती मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल शामिल है।
दिल्ली के नांगलोई स्थित तीन विद्यालयों यूएसएम पब्लिक सेकेंडरी स्कूल, एसजीएन पब्लिक स्कूल और एमडी मेमोरियल पब्लिक स्कूल की भी संबद्धता समाप्त कर दी गई है।
सीबीएसई ने जिन विद्यालयों मान्यता ‘डाउनग्रेड’ की गई है उनमें आदर्श जैन धार्मिक शिक्षा सदन, बीएस इंटरनेशनल स्कूल, भारत माता सरस्वती बाल मंदिर, चौधरी बलदेव सिंह मॉडल स्कूल, ध्रुव पब्लिक स्कूल और नवीन पब्लिक स्कूल शामिल हैं। ये सभी स्कूल दिल्ली में हैं।
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