जापान के फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट की सफाई की दिशा में एक बड़ी कामयाबी मिली है. एक रोबोट की मदद से प्लांट से मलबे का एक छोटा सा टुकड़ा निकाला गया है.2011 में आई सुनामी के बाद जापान के फुकुशिमा दाइची न्यूक्लियर प्लांट पर हुए भयंकर हादसे के 13 साल बाद अब एक अहम कामयाबी हासिल हुई है. पहली बार रिमोट से नियंत्रित एक रोबोट की मदद से प्लांट के अंदर से रेडियोएक्टिव मलबे का छोटा सा टुकड़ा बाहर लाया गया है. यह जटिल सफाई परियोजना का बड़ा कदम है, जिससे आगे के रिसर्च की राह आसान हो सकती है.
टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (टेपको) फुकुशिमा प्लांट की सफाई की जिम्मेदारी संभाल रही है. कंपनी ने बताया है कि एक खास तरह के "फिशिंग रॉड" जैसे रोबोट से यह काम कराया गया. इस रोबोट की मदद से मलबे का छोटा टुकड़ा निकाला गया, जो लगभग 5 मिलीमीटर का है. यह टुकड़ा न्यूक्लियर रिएक्टर नंबर 2 के मलबे के ढेर में से लिया गया है, जो अभी तक रिएक्टर के अंदर पड़ा था.
रिएक्टर के हालात समझने की दिशा में एक कदम
2011 में भूकंप और सुनामी की वजह से फुकुशिमा के तीन रिएक्टरों में रेडिएशन फैल गया था. तब से ही टेपको और जापानी सरकार ने यहां सफाई और डी-कमीशनिंग के लिए कई रोबोटिक मशीनों का इस्तेमाल किया है. लेकिन रेडिएशन के खतरनाक स्तर के चलते यह काम हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है. हाल के महीनों में टेपको ने एक खास रोबोट "टेलिस्को" की मदद से मलबे की सफाई का यह काम शुरू किया है.
अगस्त में शुरू हुआ यह मिशन दो हफ्तों में पूरा होना था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के चलते इसे कई बार रोका गया. खासतौर पर रोबोट के कैमरे में आई खराबी की वजह से मिशन में देरी हुई. लेकिन पिछले हफ्ते टेलिस्को ने मलबे का टुकड़ा निकालने में सफलता पाई.
सफाई के अगले चरण की तैयारी
निकाले गए नमूने का वजन 3 ग्राम से भी कम है, लेकिन इससे रेडिएशन का स्तर और रिएक्टर के अंदर की स्थिति के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है. प्लांट के प्रमुख, अकीरा ओनो का कहना है कि यह छोटा सा टुकड़ा ही सफाई की योजना को समझने और आगे के लिए तकनीकी तैयारियां करने में मदद करेगा.
ओनो ने बताया, "सैंपल की वापसी एक पहला कदम है, लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है. इससे डी-कमीशनिंग के अगले चरण के लिए बेहतर तैयारी की जा सकेगी और रेडियोएक्टिव मलबे को सुरक्षित तरीके से संभालने में मदद मिलेगी.”
सैंपल के डेटा का विश्लेषण करने के बाद इसे सुरक्षित ढंग से हटाने की योजना बनाई जाएगी. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि सफाई का सफर अभी लंबा और अनिश्चित है.
स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़े मुद्दे
फुकुशिमा में रेडिएशन की वजह से प्लांट के आस-पास की साफ-सफाई दुनिया की सबसे मुश्किल परियोजनाओं में से एक है. 2012 में टेपको और जापान की सरकार ने सफाई का समय लगभग 30 से 40 साल तक तय किया था. लेकिन कई विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के बड़े और खतरनाक काम के लिए ये समय सीमा बहुत कम है.
प्लांट में ठंडा करने के लिए इस्तेमाल हुए पानी का बड़ा भंडार भी एक चुनौती है. 2023 में जापान ने इस पानी को समुद्र में छोड़ने की प्रक्रिया शुरू की थी, जिस पर चीन और रूस ने आपत्ति जताई थी. चीन ने तो जापान से आने वाले समुद्री उत्पादों पर प्रतिबंध भी लगा दिया था. हाल ही में चीन ने कुछ हद तक जापानी समुद्री उत्पादों पर लगे प्रतिबंध को हटाने का संकेत दिया है.
सफाई प्रोजेक्ट की समय सीमा पर सवाल
तकनीकी प्रगति और ताजा मलबा निकालने की कामयाबी के बावजूद, फुकुशिमा सफाई की समय सीमा पर कई सवाल खड़े होते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि 30-40 साल का लक्ष्य बहुत मुश्किल है, क्योंकि इस तरह के खतरनाक मलबे को सुरक्षित तरीके से हटाना बेहद जटिल काम है.
इसके साथ ही टेपको और जापानी सरकार को जनता की चिंताओं का भी सामना करना पड़ता है, खासतौर पर फुकुशिमा के पास के इलाकों में रहने वाले लोग इस परियोजना को लेकर बहुत चिंतित हैं. लंबे सफाई प्रोजेक्ट के चलते इस प्रोजेक्ट पर जनता की नजर बनी हुई है, और सरकार को पारदर्शिता बनाए रखने के लिए दबाव का सामना करना पड़ रहा है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)