क्या जर्मनी के क्रिसमस मार्केट पर हमला रोका जा सकता था
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या क्रिसमस मार्केट पर हुआ हमला टाला जा सकता था? देश के कई विभागों को चेतावनी और हमलावर के बारे में कुछ सुराग मिले थे.शुक्रवार शाम एक शख्स ने भीड़ वाले क्रिसमस मार्केट में तेज कार दौड़ा दी. यह घटना जर्मनी के माग्देबुर्ग में हुई. हमले में एक बच्चे समेत पांच लोगों की मौत हुई और करीब 200 लोग घायल हुए हैं.

हमलावर की उम्र 50 साल है. पेशे से डॉक्टर यह आदमी मूल रूप से सऊदी अरब का है. वह लगभग दो दशकों से जर्मनी में रह रहा है. फिलहाल उसे हत्या, हत्या की कोशिश और गंभीर रूप से लोगों को जख्मी करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है.

पैटर्न स्पष्ट नहीं

क्रिसमस मार्केट तक तेज रफ्तार से पहुंचने के लिए उसने आपातकालीन लेन का इस्तेमाल किया. कार बहुत तेज गति में भीड़ की ओर आई. जांच अधिकारियों का कहना है कि संदिग्ध ने अकेले ही हमले को अंजाम दिया है. हालांकि वो इस हमले के मकसद की जांच कर रहे हैं.

जर्मन गृह मंत्री नैंसी फेजर ने तुरंत जांच का वादा किया और कहा कि हरेक कोण से जांच की जा रही है. फेजर ने यह माना है कि जो जानकारी मिली है उसके आधार पर हमलावर, "किसी पुराने पैटर्न में फिट नहीं हो रहा है."

फेजर ने यह भी माना है कि यह आदमी कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों और सरकारी एजेंसियों की नजर में पहले भी आया है. उन्होंने बताया कि हमलावर के अतीत के बारे में जो जानकारी थी उस पर क्या कार्रवाई की गई, इसकी भी बारीकी से जांच हो रही है. फेजर का कहना है कि हमलावर ने किसी "इस्लामी आतंकवादी" जैसा काम किया है जबकि, "वैचारिक रूप से वह स्पष्ट तौर पर इस्लामविरोधी था."

हमलावर के बारे में पहले से क्या जानकारी है

हमले के दो दिन बीत जाने के बाद भी जर्मनी सदमे में है और शोक मना रहा है. दूसरी तरफ कानून का पालन कराने वाली एजेंसियां इन सवालों का सामना कर रही हैं कि ड्राइवर के बारे में उन्हें पहले से क्या जानकारी थी और क्या इस हमले को रोका जा सकता था?

जर्मनी के संघीय अपराध पुलिस कार्यालय (बीकेए) के प्रमुख होल्गर मुंश का कहना है कि उनकी एजेंसी को नवंबर 2023 में सऊदी अरब से कुछ जानकारी मिली थी जिसके बाद हमलावर की जांच की गई. जर्मन प्राइवेसी कानून के तहत उसका नाम तालिब ए बताया गया है.

जर्मनी के प्रसारक जेडडीएफ को दिए इंटरव्यू में मुंश ने कहा कि, "जांच के उचित उपाय" किए गए मगर चेतावनियां किसी विशिष्ट घटना या गतिविधि को लेकर नहीं थी. मुंश ने डॉक्टर के बारे में कहा, "अधिकारियों से कई बार उसका सामना हुआ था, उसने लोगों का अपमान किया, यहां तक कि धमकियां भी दी थीं मगर किसी हिंसक घटना से उसका नाम नहीं जुड़ा." उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की समीक्षा होगी कि क्या जांच में किसी तरह की कोई गलती हुई थी.

आप्रवासन और शरणार्थियों के संघीय कार्यालय बीएएमएफ का कहना है कि उसे 2023 की गर्मियों में तालेब ए के बारे में जानकारी मिली थी. बीएएमएफ के मुताबिक इस आदमी के सोशल मीडिया के जरिए जानकारी मिली और जानकारी को "गंभीरता से लिया गया." बीएएमएफ का कहना है कि वह खुद जांच नहीं कर सकती इसलिए उसने ये जानकारी संबंधित विभागों को दे दी.

ऐसे स्क्रीनशॉट ऑनलाइन शेयर किए जा रहे हैं जिनमें कथित रूप से तालिब ए के बारे में चेतावनी दी गई है और उसे बीएएमएफ को भेजा गया है. स्क्रीनशॉट की सत्यता की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है.

जर्मन अखबार वेल्ट के रविवार अंक ने यह खबर दी है कि एक महिला ने तालिब ए के बारे में बीएएमएफ को एक्स के जरिए चेतावनी दी थी. यह घटना साल 2023 के आखिर में हुई थी. हालांकि उनका ईमेल वहां नहीं आ सका क्योंकि यह गलती से म्युनिसिपैल्टी पुलिस के पास चली गई.

कई शहरों में समस्या बना तालिब ए

तालिब ए जर्मनी के कई शहरों में अधिकारियों की नजर में आया. वह उत्तर पूर्वी राज्य मैक्लेनबुर्ग फॉरपोमर्न में 2011 से 2016 की शुरुआत तक रहता था. 2013 में रोस्टॉक शहर की एक अदालत ने शांति भंग करने के लिए उस पर जुर्माना लगाया था. मैक्लेनबुर्ग-फॉरपोमर्न राज्य के गृह मंत्री का कहना है कि डॉक्टर ने मेडिकल एसोसिएशन के साथ परीक्षा के नतीजों को लेकर विवाद किया. उसने यह चेतावनी भी दी थी कि वह ऐसा काम करेगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उसकी ओर आकर्षित होगा. बॉस्टन मैराथन को लेकर उसने हमले की बात कही थी. हालांकि खोजबीन करने पर ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि वह सचमुच इसकी तैयारी में था.

तालिब ए बर्लिन जूडिशियरी की रडार पर भी था. समचार एजेंसी डीपीए को सूत्रों से पता चला है कि शहर के अभियोजन कार्यालय ने उसके खिलाफ इमरजेंसी कॉल का दुरुपयोग करने के आरोप लगाए थे.

माग्देबुर्ग पुलिस के निदेशक टॉम ओलिवर लांगहांस ने शनिवार को कहा कि उनके शहर की पुलिस ने तालिब ए के खिलाफ पहले भी आपराधिक मामले दर्ज किए हैं. यह मामला लगभग एक साल पुराना है लेकिन अब उसे भी हमले की जांच से जोड़ लिया गया है. माग्देबुर्ग बर्लिन के पश्चिम में करीब 130 किलोमीटर दूर सैक्सनी अनहाल्ट राज्य में है. यहां करीब 237,000 लोग रहते हैं.

इस्लाम की आलोचना

तालिब ए को एक कार्यकर्ता के रूप में इस्लाम की आलोचना के लिए भी जाना जाता है. उसने सोशल मीडिया और इंटरव्यू में इस्लाम पर बहुत सारे आरोप लगाए हैं. उसका दावा है कि जर्मन अधिकारी इस्लाम से युद्ध के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं.

पहले वह देश छोड़ कर जाने वाली सऊदी औरतों का पैरोकार था, हालांकि बाद में उसने उन्हें जर्मनी में शरण लेने की सलाह नहीं दी बल्कि विरोध किया. अंग्रेजी और अरबी भाषा की उसकी वेबसाइट पर लिखा हुआ है, "मेरी सलाह है कि जर्मनी में शरण के लिए आवेदन मत दो."

महज दस दिन पहले अमेरिकी प्लेटफॉर्म आरएआईआर ने डॉक्टर के साथ एक इंटरव्यू किया था. यह जमीनी स्तर पर काम करने वाला एक इस्लाम विरोधी संगठन है. इसमें उसने जर्मन पुलिस पर इस्लाम छोड़ कर आने वाले सऊदी शरणार्थियों की जिंदगी जान बूझ कर तबाह करने का आरोप लगाया था. उसने खुद को इलॉन मस्क और धुर दक्षिणपंथी राजनीतिक दल अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) का प्रशंसक बताया था. हालांकि उसने खुद को राजनीतिक रूप से वामपंथी भी बताया था.

सऊदी अरब की चेतावनी

सऊदी अरब की सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि उन्होंने जर्मनी को संदिग्ध हमलावर के बारे में जानकारी दी थी और उसे प्रत्यर्पित करने का अनुरोध किया था. हालांकि जर्मनी ने इसका जवाब नहीं दिया.

उनका कहना है कि वह आदमी शिया मुसलमान था जो पूर्वी सऊदी अरब के अल-होफुफ का रहने वाला था. सऊदी अरब में शिया मुसलमान अल्पसंख्यक हैं. यहां बहुसंख्यक सुन्नी मुसलमानों के बीच उनकी तादाद महज 10 फीसदी है. यहां शिया मुसलमानों के साथ भेदभाव होने के काफी आरोप लगते हैं.

तालिब ए 2006 में जर्मनी आया. समाचार एजेंसी डीपीए को पता चला है कि उसने फरवरी 2016 में शरण के लिए आवेदन किया और उसी साल जुलाई में उसे राजनीतिक शरणार्थी का दर्जा मिल गया. स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी कंपनी सालुस के मुताबिक उसने माग्देबुर्ग के दक्षिण में मौजूद बर्नबुर्ग में फोरेंसिक साइकिएट्रिक वार्ड में मनोविज्ञान विश्लेषक के रूप में काम किया था.

एनआर/आरपी (डीपीए)