मुंबई, 23 जून बंबई उच्च न्यायालय ने उपनगर जुहू में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बंगले के कथित अनधिकृत हिस्से को नियमित करने की अर्जी नगर निकाय द्वारा अस्वीकृत किये जाने के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। साथ ही, कहा कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का मामला प्रतीत नहीं होता है।
न्यायमूर्ति आर डी धनुका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राणे की याचिका में ठोस आधार नहीं हैं और यह खारिज किये जाने योग्य है। याचिका में दावा किया गया था कि नगर निकाय के आदेश के पीछे राजनीतिक प्रतिशोध की भावना है।
हालांकि, पीठ ने राणे के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील दायर करने के लिए वक्त मांगे जाने पर आदेश के क्रियान्वयन पर छह हफ्तों के लिए रोक लगा दी।
पीठ ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को भारतीय जनता पार्टी के नेता राणे और उनके जुहू स्थित बंगले के खिलाफ छह हफ्तों की अवधि के लिए कोई कठोर कार्रवाई करने से भी रोक दिया।
राणे ने बुधवार को उच्च न्यायालय का रुख कर सात अप्रैल को जारी बीएमसी के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें बंगले के कुछ हिस्से को नियमित करने एवं बरकरार रखने के लिए उनकी अर्जी खारिज कर दी गई थी। नगर निकाय के मुताबिक, बंगले का यह हिस्सा नगर निकाय और तटीय क्षेत्र नियमों का उल्लंघन करता है।
बीएमसी ने अपने वकील अस्पी चिनॉय और अधिवक्ता जोएल कार्लोस के जरिये दलील दी कि राणे ने बंगले के खुले क्षेत्रों में बदलाव किये हैं और उन्हें उपयोग योग्य बंद ढांचे में तब्दील कर दिया है।
बीएमसी ने यह दलील भी दी कि केंद्रीय मंत्री को 2013 में उनके बंगले के लिए दखल प्रमाणपत्र दिया गया था जो 745 वर्ग मीटर क्षेत्र में निर्मित था, लेकिन यह ढांचा वर्तमान में उस ‘फ्लोर स्पेस इंडेक्स’ (एफएसआई) सीमा से तीन गुना अधिक हो गया है, जिसकी शुरूआत में मंजूरी दी गई थी।
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