नयी दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए एक व्यवसायी से धन लेने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक "जांच समिति" गठित करने का लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया.
मोइत्रा ने पलटवार करते हुए कहा कि वह ‘‘लोकसभा अध्यक्ष द्वारा उनके (दुबे) खिलाफ लंबित आरोपों से निपटने के बाद उनके (मोइत्रा) खिलाफ किसी भी कदम का स्वागत करती हैं.’’ संसद में अपने तीखे भाषणों और विरोधियों पर आक्रामक हमलों के लिए जाने जाने वाले दोनों सांसद पिछले कुछ वर्षों में कई मुद्दों पर अक्सर एक-दूसरे पर निशाना साधते रहे हैं. Sharad Pawar On BJP: एनसीपी प्रमुख शरद पवार का बड़ा बयान, कहा- देश के कई हिस्सों में कम हो रही है बीजेपी की राजनीतिक ताकत
रविवार को, दुबे ने बिरला को ‘‘संसद में ‘सवाल पूछने के लिए नकदी लेने’ का मामला फिर से सामने आने को लेकर पत्र लिखा. उन्होंने पत्र में 'विशेषाधिकार के गंभीर उल्लंघन', ‘सदन की अवमानना' और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-ए के तहत एक अपराध में संसद सदस्य (लोकसभा) महुआ मोइत्रा की सीधी संलिप्तता का आरोप लगाया है.
दुबे ने एक वकील से मिले पत्र का हवाला देते हुए कहा कि वकील ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता और एक व्यवसायी के बीच रिश्वत के लेन-देन के "अकाट्य" सबूत साझा किए हैं. मोइत्रा ने पलटवार करते हुए सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, ‘‘मैं गलत तरीके से अर्जित अपनी पूरी कमाई और उपहारों का उपयोग एक कॉलेज/विश्वविद्यालय खरीदने के लिए कर रही हूं, जिससे ‘डिग्री दुबे’ अंततः एक वास्तविक डिग्री हासिल कर सकते हैं.’’
उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को टैग करते हुए कहा, ‘‘झूठे हलफनामे के लिए उनके (दुबे) खिलाफ जांच पूरी करें और फिर मेरे खिलाफ जांच के लिए समिति गठित करें.’’ दुबे ने लोकसभाध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा कि हाल तक लोकसभा में उनके (मोइत्रा) द्वारा पूछे गए 61 में से 50 प्रश्न अडाणी समूह पर केंद्रित थे, जिस पर टीएमसी सांसद ने अक्सर कदाचार का आरोप लगाया हैं.
दुबे ने बिरला से मोइत्रा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक ‘‘जांच समिति’’ गठित करने का आग्रह किया. भाजपा सांसद ने कहा, ‘‘इसमें रत्ती भर भी संदेह नहीं है कि महुआ मोइत्रा ने संसद में प्रश्न पूछकर एक व्यवसायी - श्री दर्शन हीरानंदानी - के व्यावसायिक हितों का संरक्षण करने के लिए आपराधिक साजिश रची है, जो 12 दिसंबर, 2005 के 'सवाल पूछने के बदले नकदी लेने’ से जुड़े प्रकरण की याद दिलाती है.’’
मोइत्रा ने सीधे तौर पर दुबे का नाम लिए बिना उन पर पलटवार करने के लिए ‘एक्स’ पर कई संदेश पोस्ट किए और अडाणी समूह पर ताजा हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘‘फर्जी डिग्रीवाला और भाजपा के अन्य दिग्गजों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के कई मामले लंबित हैं. लोकसभाध्यक्ष द्वारा उनके निपटारे के तुरंत बाद मेरे खिलाफ किसी भी प्रस्ताव का स्वागत है. साथ ही मेरे दरवाजे पर आने से पहले अडाणी कोयला घोटाले में ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और अन्य द्वारा प्राथमिकी दर्ज किये जाने का इंतजार कर रही हूं.’’
टीएमसी सांसद ने कहा, ‘‘यदि अडाणी समूह मुझे चुप कराने के लिए संदिग्ध संघियों द्वारा तैयार किये गए और फर्जी डिग्री वालों द्वारा प्रसारित संदिग्ध डोजियर पर भरोसा कर रहा है तो मैं उन्हें सलाह दूंगी कि वे अपना समय बर्बाद न करें. अपने वकीलों का बुद्धिमानी से उपयोग करें.’’
बिरला को लिखे अपने पत्र में, दुबे ने आरोप लगाया कि मोइत्रा का आचरण "सवाल पूछने के लिए नकदी लेने के प्रकरण के फिर से सामने आने" को दर्शाता है. उनका इशारा परोक्ष तौर पर कई सांसदों द्वारा संसद में सवाल पूछने के बदले नकदी लेने को लेकर 2005 में मीडिया द्वारा किये गए खुलासे की ओर था.
दुबे ने कहा कि गठन के 23 दिनों के भीतर जांच समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर 11 सांसदों की सदस्यता रद्द कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि मोइत्रा के खिलाफ भी इसी तरह जांच की जानी चाहिए और रिपोर्ट प्रस्तुत होने तक सदन से निलंबित कर दिया जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर मोइत्रा के तीखे हमलों का हवाला देते हुए दुबे ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ वर्षों में एक ‘‘चतुर मुखौटा’’ बनाया गया, क्योंकि वह अक्सर अडाणी समूह का संदर्भ देती थीं और यह दिखाने का प्रयास करती थीं कि वह सरकार के खिलाफ हैं.
मोइत्रा ने एक अन्य पोस्ट में कहा, "अडाणी के विदेशों में धन लेनदेन, बढ़ा चढ़ाकर ‘इनवॉइसिंग’, बेनामी खातों की जांच पूरी करने होने के तुरंत बाद मेरे कथित धनशोधन की सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) जांच का भी स्वागत है. अडाणी प्रतिस्पर्धा को कुचलने और हवाईअड्डे खरीदने के लिए भाजपा की एजेंसियों का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन ऐसा मेरे साथ करने का प्रयास करें.’’
दुबे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ 11 सांसदों की इसी भारतीय संसद ने प्रश्न पूछने के बदले पैसे लेने के कारण सदस्यता रद्द कर दी थी, आज भी चोरी और सीनाज़ोरी नहीं चलेगी. सदस्यता तो जाएगी, इंतज़ार करिए.’’ उन्होंने अपने पोस्ट में मोइत्रा का नाम लिए बिना हवाला के धन का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.
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