शहर के पूर्वी इलाके में स्थित चुइयांग्लु अस्पताल बृहस्पतिवार को नए मरीजों से भरा हुआ था. मध्याह्न तक अस्पताल में सभी बिस्तर भर चुके थे लेकिन एम्बुलेंस से यहां मरीजों के पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी था. अस्पताल के नर्स और चिकित्सक उन मरीजों की जानकारी लेने के लिये तत्काल आगे बढ़े जिन्हें चिकित्सा सहायता की नितांत आवश्यकता थी. चीन के अस्पतालों में मरीजों की यह ‘बाढ़’ दरअसल करीब तीन सालों से चल रही उसकी ‘शून्य कोविड नीति’ के तहत लागू पाबंदियों को हटाने के बाद आई है. इन पाबंदियों के तहत लॉकडाउन चल रहा था, यात्राओं पर पाबंदी थी व स्कूल बंद थे.
इनका अर्थव्यवस्था पर काफी दबाव था और इसके विरोध में लोग सड़कों पर प्रदर्शन के लिये भी उतरे थे. यूरोपीय संघ ने भी बुधवार को अपने सदस्य देशों को चीन से आने वाले यात्रियों के लिये प्रस्थान पूर्व कोविड-19 परीक्षण को लागू करने के लिये “प्रोत्साहित” किया है. पिछले एक हफ्ते में, यूरोपीय संघ के देशों ने चीन के यात्रियों पर कई तरह के प्रतिबंधों के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जो एकरूपता में कार्य करने की समूह की पूर्व प्रतिबद्धता का उल्लंघन करते हैं. इटली यूरोपीय संघ का पहला देश था जिसने चीन से आने वाले एयरलाइन यात्रियों के लिए कोरोनोवायरस परीक्षण की आवश्यकता को अनिवार्य किया था. यह भी पढ़ें : China Covid-19 Update: चीन कोविड के वास्तविक प्रभाव को कम करके दिखा रहा- डब्ल्यूएचओ
फ्रांस और स्पेन ने हालांकि अपने स्वयं के उपायों का पालन किया. इसके बाद अमेरिका ने एक नियम लागू की कि चीन के सभी यात्रियों को प्रस्थान से पहले पिछले 48 घंटों में प्राप्त एक नकारात्मक परीक्षण परिणाम दिखाना होगा. चीन ने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की नीतियां संघ के सभी देशों में लागू की गईं तो वह “जवाबी कार्रवाई” करेगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने बुधवार को कहा कि समूचे चीन में कोरोना वायरस के विस्फोटक प्रसार और सरकार के आंकड़ों की कमी के बीच एजेंसी ‘चीन में लोगों के जीवन के लिए मौजूदा खतरे को लेकर चिंतित’ है.