नई दिल्ली, 23 सितंबर: भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) ने राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ सातवें नंबर पर बल्लेबाजी के लिये उतरने वाले महेंद्र सिंह धोनी के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि धोनी ने विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए बल्लेबाजी क्रम में नीचे उतरकर मोर्चे से अगुवाई नहीं की. गंभीर ने कहा कि किसी और कप्तान ने ऐसा किया होता तो उसकी काफी आलोचना होती लेकिन चूंकि वह धोनी हैं तो लोग इस बारे में बात भी नहीं कर रहे.
धोनी ने अपने से पहले सैम कुरेन , रितुराज गायकवाड़ और केदार जाधव को भेजा. गंभीर ने ईएसपीएन क्रिकइन्फो टी20 टाइम आउट में कहा, "ईमानदारी से कहूं तो मैं हैरान था. एम एस धोनी सातवें नंबर पर . रितुराज गायकवाड़ और सैम कुरेन उनसे पहले .इसका क्या मतलब था. आपको तो मोर्चे से अगुवाई करनी चाहिये." उन्होंने कहा, "इससे मोर्चे से अगुवाई करना नहीं कहते . 217 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए सातवें नंबर पर बल्लेबाजी . फाफ अकेले किला लड़ाता रहा."
उन्होंने कहा, "किसी और ने यह किया होता तो काफी आलोचना होगी. लेकिन चूंकि वह धोनी हैं तो लोग इस बारे में बात भी नहीं कर रहे." भारत के लिये 2003 से 2016 के बीच 58 टेस्ट और 147 वनडे खेल चुके गंभीर ने कहा, "जल्दी आउट होने में कोई बुराई नहीं है लेकिन कम से कम टीम को प्रेरित तो करना चाहिये. आखिरी ओवर में आपने क्या किया (तीन गेंद में तीन छक्के). यही पहले किया होता तो नतीजा कुछ और होता."
उन्होंने कहा, "शायद जीत की ललक ही नहीं थी. पहले छह ओवर के बाद लग रहा था कि उन्होंने उम्मीद छोड़ दी है. एम एस अंत तक टिककर टीम को मैच में लौटाने की कोशिश कर रहा था ताकि आने वाले मैचों में ऐसी पारियां खेल सके." गंभीर ने कहा, "आप एम एस धोनी के तीन छक्कों की बात कर सकते हैं लेकिन उनका क्या फायदा. वह तो उसके निजी रन थे."
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)