पेशावर, दो मई राजनीति में शक्तिशाली सेना की संलिप्तता और न्यायपालिका के कामकाज में खुफिया एजेंसियों के हस्तक्षेप के आरोपों के बीच, पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने बृहस्पतिवार को कहा कि सेना अपनी संवैधानिक सीमाओं के बारे में “अच्छी तरह से परिचित” है और दूसरों से संविधान को कायम रखने की उम्मीद करती है।
एक पासिंग आउट परेड में मुख्य अतिथि जनरल मुनीर ने कहा कि जो लोग संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए गए स्पष्ट प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हैं, वे दूसरों पर अंगुली नहीं उठा सकते।
खैबर पख्तूनख्वा के रिसालपुर में असगर खान अकादमी में पाकिस्तान वायु सेना की पासिंग आउट परेड को संबोधित करते हुए जनरल मुनीर ने कहा, “हम अपनी संवैधानिक सीमाओं से अच्छी तरह परिचित हैं और दूसरों से संविधान को कायम रखने की उम्मीद करते हैं।”
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान इस्लामी गणतंत्र के संविधान का अनुच्छेद 19 स्पष्ट रूप से भाषण एवं अभिमत को व्यक्त करने की स्वतंत्रता की सीमाओं को परिभाषित करता है।”
उनकी टिप्पणी पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा के उस बयान के दो दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका को एक निश्चित कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करना न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप के समान है।
शीर्ष न्यायाधीश 25 मार्च को इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) के छह न्यायाधीशों द्वारा लिखे गए एक पत्र का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उनके मामलों में एजेंसियों के हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया था। शीर्ष अदालत ने पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया और बाद में कई बार काउंसिल ने भी याचिकाएं दायर कीं और उन्हें मामले में पक्षकार बनाया गया।
पाकिस्तान बनने के बाद 75 वर्ष में से आधे से अधिक समय तक शासन करने वाली शक्तिशाली सेना ने अब तक सुरक्षा और विदेश नीति के मामलों में प्रभावी शक्ति का इस्तेमाल किया है। सेना ने हालांकि देश की राजनीति में हस्तक्षेप से मना किया है।
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