नयी दिल्ली, 25 नवंबर केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सोमवार को कहा कि संविधान का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ. बीआर आंबेडकर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के खिलाफ थे, क्योंकि उनका मानना था कि यह कदम देश की एकता और अखंडता के खिलाफ होगा।
मेघवाल ने कहा कि संविधान सभा ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने से संबंधित अनुच्छेद जल्दबाजी में तब पारित किया था, जब आंबेडकर मौजूद नहीं थे।
मेघवाल यहां एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर आयोजित ‘छात्रों के लिए भारत का संविधान’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने यह भी कहा कि आंबेडकर ने अनुच्छेद-370 को लागू करने से इनकार कर दिया था।
मंत्री ने संविधान सभा के अभिलेखों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘वह (आंबेडकर) संविधान सभा के समक्ष आए सभी अनुच्छेदों पर अपनी बात रखने वाले पहले व्यक्ति थे। चर्चाएं आधे दिन या एक दिन से अधिक समय तक चलती थीं। आंबेडकर चर्चाओं का जवाब देते थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘रिकॉर्ड से पता चलता है कि आंबेडकर ने बहसों में सबसे ज्यादा बोला। लेकिन अनुच्छेद-370 पर उन्होंने यह कहते हुए बोलने से इनकार कर दिया था कि यह देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है।’’
मेघवाल ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने इस बात पर जोर दिया था कि अनुच्छेद-370 को अपनाया जाए और मसौदा समिति के एक अन्य सदस्य को इसे पारित कराने का काम सौंपा गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘आंबडेकर मौजूद नहीं थे, क्योंकि वह अस्पताल गए थे... इसे (अनुच्छेद-370 को) जल्दबाजी में पारित किया गया था।’’
मेघवाल ने कहा कि आंबेडकर एक सच्चे देशभक्त थे। उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक और देशभक्त हैं, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करना सुनिश्चित किया।
अगस्त 2019 में पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त कर दिया गया था। तत्कालीन राज्य को दो-केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया था।
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