पैरोल पर रिहा हुए व्यक्ति से आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की उम्मीद नहीं की जाती: अदालत
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मुंबई, 29 जनवरी: मुंबई की एक विशेष अदालत ने कहा है कि एंटीलिया के बाहर एक गाड़ी में विस्फोटक मिलने के मामले और कारोबारी मनसुख हिरन की हत्या के प्रकरण में आरोपी पूर्व पुलिसकर्मी विनायक शिंदे पर लगे आरोप सच हैं और पैरोल पर जेल से रिहा होने वाले व्यक्ति से “आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होने” की उम्मीद नहीं की जाती. रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे शिंदे फरवरी 2021 में एंटीलिया बम मामले के समय पैरोल पर थे.

विशेष एनआईए न्यायाधीश ए. एम. पाटिल ने 20 जनवरी को एंटीलिया बम मामले में उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था. विस्तृत आदेश सोमवार को उपलब्ध हुआ. अदालत ने कहा कि शिंदे पर आरोप हैं कि उन्होंने जबरन वसूली की रकम एकत्र करने और फर्जी सिम कार्ड हासिल करने में पूर्व पुलिसकर्मी सचिन वाझे की मदद की थी. न्यायाधीश ने कहा, “इस समय यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि वह भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश में शामिल होने) के तहत अपराध के दोषी नहीं है.”

अदालत ने कहा, "आवेदक (शिंदे) ने पैरोल पर रिहाई के बाद ऐसा किया, जिससे उनका कृत्य और गंभीर हो गया. पैरोल पर रिहा हुए व्यक्ति से आपराधिक गतिविधि में शामिल होने की उम्मीद नहीं की जाती. उम्मीद की जाती है कि उसे गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए. इसलिए, आवेदक को समानता के लाभ के मामले में अन्य आरोपियों के समान नहीं माना जा सकता.”

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