देश की खबरें | कोविड महामारी के दौरान आशाकर्मी का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में एक व्यक्ति को तीन साल की कैद

मेहसाणा, पांच सितंबर गुजरात के मेहसाणा जिले की एक अदालत ने एक व्यक्ति को कोविड-19 महामारी के दौरान एक स्वास्थ्यकर्मी का यौन उत्पीड़न करने के जुर्म में तीन साल की कैद की सजा सुनायी है।

पिछले सप्ताह विशेष न्यायाधीश सी एम पवार ने आरोपी कमलेश पटेल को भारतीय दंड संहिता, महामारी रोग अधिनियम, अनुसूचित जाति/जनजाति (उत्पीड़न रोकथाम) अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया था।

अतिरिक्त सरकारी वकील अशोक मकवाना ने दावा किया, ‘‘महामारी के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल, 2020 में महामारी रोग (संशोधन) अधिनियम को लागू किये जाने के बाद इस कानून के तहत यह संभवत: देश में पहली दोषसिद्धि है ।’’

अदालत ने दो सितंबर को अपना आदेश जारी किया।

मेहसाणा के बलोल में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एक आशाकर्मी ने अप्रैल, 2020 में शिकायत की थी कि कोरोना वायरस के कुछ संदिग्ध मरीजों की जांच के सिलसिले में जब वह क्षेत्र में थी तब आरोपी ने उसका यौन उत्पीड़न किया था।

शिकायतकर्ता ने दावा किया कि जब वह ड्यूटी पर थी तब आरोपी ने उसका उत्पीड़न किया। शिकायत के अनुसार आशाकर्मी के माता-पिता एवं अन्य परिचितों ने उसे बचाया। आरोपी ने दूसरी बार भी उसके यौन उत्पीड़न की कोशिश की और उसे जातिसूचक शब्द कहे थे।

आशाकर्मी ने कहा कि पटेल की हरकत से कोरोना वायरस भी फैल सकता था।

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