बीजिंग, 27 अक्टूबर: चीन (China) की राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा ने हाल ही में भूमि सीमा कानून पारित किया ,जो 1 जनवरी 2022 को लागू होगा. चीन की थल सीमा भारत ,नेपाल ,पाकिस्तान व रूस समेत 14 देशों से लगी हुई है, जो विश्व में सर्वाधिक है. अभी पारित भूमि सीमा कानून प्रभुसत्ता की सुरक्षा और सीमा संबंधी मामलों के प्रबंधन में चीन का एक नया और अहम कदम माना जा रहा है ,जिसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की व्यापक नजर खींची है.यह भी पढ़े: चीन में फिर पांव पसार रहा कोरोना, बीजिंग में टेस्ट करवाने के लिए लगी लंबी कतार, Lanzhou सिटी में सख्त लॉकडाउन (VIDEO)
आखिर इस नये कानून के क्या क्या मुख्य विषय हैं. इसका पता लगाने के लिए तीन पहलुओं से देखा जा सकता है. सबसे पहले इस कानून में सीमा से जुड़े मुद्दों पर चीन के बुनियादी सिद्धांतों का स्पष्टीकरण और निश्चय किया गया है. उदाहरण के लिए इस कानून में कहा गया कि चीन प्रभावी कदम उठाकर प्रभुसत्ता और थलीय सीमा की डटकर सुरक्षा करता है और प्रभुसत्ता व थल सीमा को नुकसान करने वाली किसी भी कार्रवाई पर प्रहार करता है.
उल्लेखनीय बात है कि इस कानून के पहले अनुच्छेद की 15वीं धारा में कहा गया कि चीन समानता ,पारस्परिक विश्वास एवं मैत्रीपूर्ण सलाह मशवरे के सिद्धांतों पर वार्ता के जरिये थलीय पड़ोसी देश के साथ सीमा व संबंधित मामलों का निपटारा करता है और मतभेद व इतिहास से छोड़े गये सीमा सवाल का समुचित समाधान करता है.
दूसरा ,इस कानून में केंद्रीय एकीकृत नेतृत्व के तहत सीमा मामले से जुड़े चीन के विभिन्न विभागों की ठोस जिम्मेदारियां रेखांकित की गयी हैं. मसलन चीनी विदेश मंत्रालय थलीय सीमा संबंधी वैदेशिक मामले पर जिम्मेदार है और थलीय सीमा प्रबंधन में भाग लेता है. केंद्रीय सैन्य आयोग के नेतृत्व में संबंधित सैन्य संस्थाएं सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा, सामाजिक स्थिरता बनाए रखने, आपात घटना के निपटारे और सीमा सुरक्षा सहयोग करने का निर्देशन व समन्वय करती हैं.
राज्य परिषद के संबंधित विभागों और सीमा से लगे प्रांतों व प्रदेशों की विभिन्न स्तरीय सरकारों को कदम उठाकर सीमा पर स्थित नदी (झील) के बहाव की दिशा स्थिर करना और संबंधित संधि के मुताबिक नदी के पानी का संरक्षण और उचित प्रयोग करना चाहिए. तीसरा ,इस कानून में सीमा से जुड़े मामले और संभावित घटना को सुलझाने के उपायों और प्रक्रिया का स्पष्टीकरण किया गया है.
जैसे थलीय सीमा रेखांकित करने वाली संधि को मंजूरी के लिए राज्य परिषद द्वारा राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, फिर राष्ट्रपति राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति के फैसले के अनुसार इसकी पुष्टि करते हैं. स्थानीय विशेषज्ञों के विचार में इस भूमि सीमा कानून से चीन के सीमा मामलों के प्रबंधन को मजबूती मिलेगी और सीमा मामले का प्रबंधन कानून के मुताबिक चलेगा. इसके साथ संबंधित मामलों का निपटारा अधिक पारदर्शी और अनुमानित होगा.