अमेरिका और ईरान के बीच उपजे भीषण तनाव का भारत पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव?
डोनाल्ड ट्रंप, पीएम मोदी,हसन रूहानी (Photo Credits Getty)

अमेरिका द्वारा ईरान पर हमला कर जिस तरह से वहां के कद्दावर जनरल कासिम सुलेमानी (Qassem Soleimani) को निशाना बनाकर उनकी हत्या की गई, इससे एक ओर विश्व युद्ध का खतरा बढ़ा है तो वहीं भारत और ईरान के रिश्तों पर भी गंभीर असर पड़ने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता. भारत ने अपने शांति संदेश में कहा है कि अमेरिका और ईरान के बीच बिगड़ते माहौल से दुनिया भर में चिंता व्याप्त है. गत शुक्रवार को अमेरिका द्वारा ईरान के विरुद्ध सैन्य कार्रवाई के बाद बहुत सुलझे हुए अंदाज में भारत ने दोनों ही पक्षों से शांति से सारा मामला सुलझाने की अपील की है. भारत सरकार ने अपील में कहा है कि स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं होने पाये.

भारत हमेशा से शांति और संयम की भावना से कार्य करता आया है और चाहता है कि सारी दुनिया भी इसी रास्ते पर चलते हुए अपनी समस्याएं निपटाए. गौरतलब है कि ईरान के रिवॉल्युशनरी गार्ड कॉप्स कूद्स फोर्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी को खाड़ी क्षेत्र का दूसरा सबसे कद्दावर नेता माना जाता था, जिसे पिछले दिनों सैन्य आक्रमण करके अमेरीकी सैनिकों ने मौत की नींद सुला दिया था. यह भी पढ़े: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को फिर चेताया- दोबारा हमला करने की गलती न करे, अंजाम और भयावह होगा

ईरान को नजरंदाज करना भारत के लिए आसान नहीं होगा

  भारत के लिए अमेरिका और ईरान दोनों ही बहुत मित्र राष्ट्र हैं. अमेरिका जहां भारत का सबसे खास रणनीतिक पार्टनर है, वहीं ईरान के साथ भी शुरू से सौहार्दपूर्ण रिश्ता रहा है. भारत मध्य एशिया एवं अफगानिस्तान तक का मार्ग आसान करने के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाश रहा है, जो ईरान के चाबहार पोर्ट से होकर गुजरता है. इसी संदर्भ में अमेरिकी हमले से दो सप्ताह पूर्व विदेश मंत्री एस जयशंकर ईरान की राजधानी तेहरान गये हुए थे. तब दोनों ही देश चाबहार पोर्ट को विकसित करने के प्रॉजेक्ट को तेजी देने पर सहमत हुए थे. लेकिन अमेरिकी हमले के बाद भारत-तेहरान के बीच रिश्ते मधुर बने रहें इसकी कम ही संभावना दिखती है. इसके साथ ही खाड़ी देश जहां लगभग 80 लाख से ज्यादा भारतीय नागरिक निवास करते हैं, उनकी सुरक्षा को देखते हुए तेहरान से भी मुंह मोड़ना भारत के लिए आसान नहीं होगा.

'ट्रंप ने भारत के सामने खड़ा किया धर्म संकट'

अमेरिका-ईरान के बीच खिंची तलवार के संदर्भ में भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल का कहना है कि अमेरिका के गैरव्यवहारिक हरकतों से भारत के लिए दुविधापूर्ण स्थिति बन गयी है. अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने अंतर्राष्ट्रीय कानून की अवहेलना करते हुए जिस तरह से ईरान पर हमला किया, वह किसी भी सूरत में सही नहीं कहा जा सकता. इसकी प्रतिक्रिया तीसरे विश्व युद्ध के रूप में पूरे विश्व के लिए खतरा साबित हो सकती है. इससे दुनिया भर में अस्थिरता बढ़ेगी, साथ ही भारतीय हितों को भी ठेस पहुंच सकती है. वस्तुतः ट्रम्प ने भारत के लिए यह धर्म संकट खड़ा कर दिया है कि वह देश हित के लिए किससे नाता जोड़े और किससे नाता तोड़े.

भारत को मध्यस्थता के लिए आगे आना होगा.

  पिछले कुछ सालों से अमेरिकी दबाव के कारण भारत ईरान के बीच रिश्ते बहुत अच्छे नहीं हैं. ईरान से भारत के लिए तेल का आयात लगभग नहीं के बराबर रह गया है. आज ईराक भारत को तेल निर्यात करने वाला सबसे बड़ा देश माना जाता है. अब अगर अमेरिका ईरान के बीच रिश्ते और बिगड़ते हैं तो भारत के लिए ईराक से भी तेल आयात की व्यवस्था बिगड़ सकती है. इस संदर्भ में पूर्व राजनयिक और मध्य एशिया की गहरी जानकारी रखने वाले तलमीज अहमद का कहना है कि भारत की प्रतिक्रिया पारंपरिक एवं पारस्परिक हितों पर आधारित है. तलमीज के अनुसार अब वक्त आ गया है, जब हालात को और भी बदतर बनने से रोकने के लिए भारत को एक सुलझे हुए राजनयिक की भूमिका निभानी होगी, ताकि दोनों देशों के बीच शांति स्थापित हो. वरना अगर अमेरिका-ईरान के बीच सैन्य संघर्ष बढ़ा तो लाखों भारतीयों की जिंदगियां खतरे में पड़ सकती हैं.

'भारत को किस मुंह से शांति का ज्ञान बांटेगा अमेरिका

   अमेरिका अपने मित्र राष्ट्रों के हितों की अनदेखी कर रहा है. ईरान पर हमला और सुलेमानी की हत्या अमेरिका के घरेलू राजनीति का हिस्सा है. अमेरिका ने ईरान पर हमले के अंजाम की गंभीरता को नजरंदाज करते हुए यह नहीं सोचा कि उसके इस कृत्य से उसके भारत जैसे मित्र राष्ट्रों का हित किस हद तक प्रभावित हो सकता है. सिब्बल के अनुसार, भारत को इन मुद्दों को अमेरिका के सामने रखना होगा. भारत को पड़ोसी देशों के साथ शांति व संयम बनाये रखने, आर्टिकल 370 एवं नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर ज्ञान बांटने से पहले अमेरिका को अपने गिरेबान में झांक कर देखना होगा. कि वह खुद क्या कर रहा है.