बीजिंग: चीन शनिवार को उस समय कुछ देर के लिए थम-सा गया जब कोरोना वायरस (Covid-19) के कारण मारे गए मरीजों और चिकित्साकर्मियों की याद में राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में देश में तीन मिनट का मौन रखा गया. दरअसल चीन ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान गंवाने वाले ‘‘व्हिसलब्लोअर’’ डॉक्टर ली समेत अन्य शहीदों तथा इस संक्रामक रोग से देश में 3,300 लोगों की मौत पर शनिवार को राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया. शी और चीन के अन्य नेताओं ने कोरोना वायरस शहीदों और मृतकों को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रीय शोक दिवस में भाग लिया.
उन्होंने अपने सीने पर सफेद फूल लगाए हुए थे और राष्ट्रीय ध्वज के सामने कोविड-19 के मृतकों को श्रद्धांजलि दी जिसे आधुनिक चीन के इतिहास में सबसे खराब जनस्वास्थ्य आपदा माना जा रहा है. दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश में सायरन और कार के हॉर्न बजने पर सड़कों पर लोग और यातायात थम गया. बीजिंग में लोगों को सड़कों पर रोते हुए देखा गया. इस दौरान देशभर तथा विदेशों में सभी चीनी दूतावासों तथा वाणिज्य दूतावासों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा और देशभर में सार्वजनिक मनोविनोद की गतिविधियां स्थगित कर दी गईं. इस बीच, कोरोना वायरस का केंद्र बने हुबेई प्रांत में शुक्रवार को चार लोगों की मौत हो गई और कोविड-19 का एक नया मामला सामने आया. यह भी पढ़ें: Coronavirus: ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा- चीन के मीट बाजारों से फैला खतरनाक वायरस, WHO और UN ले एक्शन
प्रांत में कोविड-19 के ऐसे 38 मरीजों की पुष्टि हुई जिनमें लक्षण दिखाई नहीं दिए हैं. इसके साथ ही लक्षणरहित मामलों की संख्या 729 तक पहुंच गई है जो इस बात का संकेत है कि इस जानलेवा संक्रामक रोग के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. हुबेई में अभी तक 67,803 मामलों की पुष्टि हुई है जिनमें से 50,008 मामले वुहान में दर्ज किए गए. चीनी भूभाग पर कोविड-19 के अभी तक कुल 81,620 मामले सामने आए हैं और 3,322 लोगों की मौत हो चुकी है. चीन के मध्य हुबेई प्रांत में ‘‘व्हिसलब्लोअर’ डॉक्टर ली वेनलियांग समेत 14 कार्यकर्ताओं को कोविड-19 से लड़ाई में अपनी जान देने के लिए शहीदों के तौर पर मान्यता गई.
शहीदों के पहले समूह में 12 डॉक्टर, एक पुलिस अधिकारी और सामुदायिक कार्यकर्ता शामिल है जिन्होंने अग्रणी मोर्चे पर इस संक्रामक रोग के खिलाफ लड़ाई लड़ी. ली वेनलियांग (34) उन आठ ‘व्हिसलब्लोअरों’ में से एक नेत्र विशेषज्ञ थे जिन्होंने चिकित्साकर्मियों को कोरोना वायरस के खिलाफ आगाह किया था लेकिन स्थानीय पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया था. उनकी कोविड-19 के संपर्क में आने के बाद सात फरवरी को मौत हो गई थी.