SAARC Meeting: तालिबानी नेताओं को सार्क की मीटिंग में शामिल कराना चाहता था पाकिस्तान, भारत समेत कई देशों ने जताया विरोध
तालिबान नेता (Photo Credits ANI)

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (south asian association regional corporation) की बैठक(meeting) आगमी 25 सितंबर को होनी है.  इस बैठक में पाकिस्तान (pakistan) तालिबानी नेताओं (Taliban) को भी शामिल करना चाहता था. जब कोई भी देश तालिबानी नेताओं को किसी भी मीटिंग (SAARC meeting) में शामिल नहीं करना चाहता है ऐसे में पाकिस्तान(pakistan) की यह फरमाइश किसी के भी गले से नहीं उतर रही.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुताबिक तालिबानियों(Talibanis) को अफगानिस्तान के प्रतिनिधि(Afghanistan's candidate) के तौर पर उतारना चाहता था लेकिन सभी देशों ने इस बात का इनकार कर दिया जिसके चलते ये मीटिंग स्थगित करनी पड़ी. Taliban राज लौटते ही महिलाओं के लिए जहन्नुम बना अफगानिस्तान, तालिबानी लड़ाकों के लिए मांगी गई 15 साल से ऊपर की लड़कियों की लिस्ट

अपनी बात पर अड़ा पाकिस्तान

सार्क की मीटिंग में हर कोई अफगानिस्तान की कुर्सी को खाली छोड़ना चाहता था लेकिन पाकिस्तानी इस बात पर अड़ गया कि तालिबानी सरकार के प्रतिनिधि को मीटिंग में शामिल किया जाए. दरअसल भारत समेत दुनिया के प्रमुख देशों ने अफगानिस्तान में बनी तालिबान सरकार को अभी तक मान्यता नहीं दी है. तालिबान सरकार के विदेश मंत्री आमिर खान मुतक्की समेत कई मंत्रियों को संयुक्त राष्ट्र ने ब्लैकलिस्ट भी कर रखा है. ऐसे में मुतक्की संयुक्त राष्ट्र से संबंधित किसी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएगा.

प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भी दिए वर्चुअली संबोधन में कहा था कि चरमपंथ कई समस्याओं की जड़ है और अफगानिस्तान में जो हुआ वह इसी का नतीजा है. उन्होंने ये भी कहा था कि तालिबान की गैर-समावेशी (नॉन इन्क्लूसिव) सरकार को मान्यता देने से पहले दुनिया को सोच-विचार जरूर करना चाहिए. इस सरकार में महिलाओं और अल्पसंख्यकों को शामिल नहीं किया गया है.

इससे पहले भी किया तालिबानियों का समर्थन

ये बात तो किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान आतंकियों को ठिकाना देने में माहिर है. बता दें कि बीते दिनों जब तालिबान ने अपना कब्जा अफगानिस्तान पर किया था तो उसके कुछ ही समय बाद खबरें आई थी कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तालिबानियों के लिए चंदा मांग रहे थे. हालांकि उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि वे जब पाकिस्तान के लिए डोनेशन की बात रख सकते हैं तो वे अफगानिस्तान के लिए भी सपोर्ट में खड़े रहेंगे.