ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय (Queen Elizabeth II) ने अपने पारंपरिक क्रिसमस संदेश के लिए ''विविधता एवं आशा'' का विषय चुना और इस दौरान महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के दौरान मनाए गए दीपावली, ईद और वैशाखी जैसे बडे त्यौहारों का जिक्र किया. इस साल, 94 वर्षीय महारानी ने पिछले कई दशकों में पहली बार शाही परिवार के सदस्यों के एकत्र हुए बिना ही क्रिसमस का त्यौहार मनाया.
उन्होंने अपने क्रिसमस संदेश में सहिष्णुता और आपसी सम्मान का आह्वान किया और देश में लोगों का जीवन बचाने के लिए किए गए विभिन्न वर्गों एवं धर्म के लोगों के योगदान को याद दिलाया. महारानी ने अपने संदेश में कहा, '' इसाइयों के लिए ईसा मसीह 'विश्व का प्रकाश' हैं. हालांकि, इस वर्ष हम आम दिनों की तरह उनका जन्मदिवस नहीं मना सकते. किसी भी धर्म को मानने वाले लोग जिस तरह उत्साह से मिल-जुलकर त्योहार मनाते थे, उस तरह से इस वर्ष नहीं मना सके. जैसे ईस्टर, ईद और वैशाखी.'' यह भी पढ़े: Elisabeth Moss: एलिजाबेथ मॉस ने काम को लेकर अपना अनुभव शेयर करते हुए कहा – यह एक हास्यास्पद काम है
उन्होंने कहा, '' पिछले महीने विंडसर के आसपास दीपावली के दौरान हिंदुओं, सिखों और जैन समुदाय के लोगों ने सामाजिक दूरी के नियमों का पालन कर पटाखे जलाए और आसमान को उम्मीद एवं एकता के प्रकाश से जगमग किया.'' महारानी ने कोविड-19 के टीके के उपयोग को अनुमति दिए जाने के आलोक में इसे आधुनिक विज्ञान की तरक्की करार दिया. साथ ही महामारी के दौरान अपने प्रियजनों को खोने वाले लोगों के प्रति उन्होंने संवेदना व्यक्त की. महारानी ने अपने संदेश में महामारी से निपटने में तैनात अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों की सराहना भी की.
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