West Nile Virus: हल्के में न लें मच्छरों का काटना, अमेरिका में फैल रहा यह घातक वायरस, लकवा मारने के साथ जा सकती है जान
मच्छर (Photo Credits: Pixabay)

मच्छरों के काटने से सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है, जब इंसान मलेरिया (Malaria), जीका वायरस (Zika Virus) और वेस्ट नाइल वायरस (डब्ल्यूएनवी) जैसी बिमारियों की चपेट में आ जाता हैं. इन दिनों अमेरिका के कम से कम छह राज्यों में मच्छरों से फैलने वाले डब्ल्यूएनवी (West Nile Virus) से चिंता बढ़ गई है. हालांकि यह बीमारी आमतौर पर वर्ष के इस समय के आसपास यूएस में चरम पर होती है. वैज्ञानिकों ने मलेरिया के जिम्मेदार मच्छर का विस्तृत जीनोम मानचित्र तैयार किया

नई रिपोर्टों से पता चला है कि छह अमेरिकी राज्यों में वेस्ट नाइल वायरस फैलाने वाले मच्छरों का कहर बढ़ रहा है. इनमें से चार स्थानों पर तो इंसान घातक वायरस से संक्रमित हो भी चुके है. बेस्ट लाइफ की एक रिपोर्ट के अनुसार एरिज़ोना (Arizona), अर्कांसस (Arkansas), इलिनोइस (Illinois), आयोवा (Iowa), मैसाचुसेट्स (Massachusetts) और न्यूयॉर्क (New York) में ऐसे मच्छर पाए गए हैं जो संभावित लकवाग्रस्त (Paralyzing) बीमारी को फैला रहें हैं.

क्या भारत में भी है वेस्ट नाइल वायरस का खतरा?

वेस्ट नाइल वायरस क्यूलेक्स मच्छर फैलाता है, जो गर्मियों में अधिक सक्रिय रहता है. भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल (एनएचपीआई) के अनुसार, मई 2011 में केरल में तीव्र एंसेफलाइटिस सिंड्रोम के प्रकोप के दौरान, नैदानिक नमूनों में डब्ल्यूएनवी की उपस्थिति की पुष्टि की गई थी. तब से केरल में डब्ल्यूएनवी इंसेफेलाइटिस के मामले नियमित रूप से सामने आते रहे हैं. केरल के मलप्पुरम जिले में मई 2019 में एक सात वर्षीय लड़के की मौत वेस्ट नाइल फीवर से हो गई थी. जांच में पता चला था कि वेस्ट नाइल वायरस (डब्ल्यूएनवी) ने स्पष्ट रूप से लड़के के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित किया, जिससे जटिलताएं हुईं और दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.

इंसान कैसे होता संक्रमित?

विशेषज्ञों के अनुसार, डब्ल्यूएनवी फैलाने वाला क्यूलेक्स मच्छर गर्मियों में अधिक सक्रिय होता है. इसलिए गर्मियों में वेस्ट नाइल बुखार से मच्छर-जनित संक्रमणों का जोखिम बढ़ जाता है. डब्ल्यूएनवी पक्षियों और मच्छरों के बीच संचरण चक्र के जरिए प्रकृति में बना रहता है. इससे मनुष्य, घोड़े और अन्य स्तनधारी भी संक्रमित हो सकते हैं.

मनुष्य संक्रमित मच्छरों के काटने से इस संक्रमण का शिकार होता है. वायरस अन्य संक्रमित जानवरों, उनके रक्त या अन्य ऊतकों के संपर्क के माध्यम से भी फैल सकता है. यह अंग प्रत्यारोपण, रक्त आधान यानी ट्रांसफ्यूजन और स्तन के दूध के माध्यम से भी हो सकता है. हालांकि आकस्मिक संपर्क के माध्यम से डब्ल्यूएनवी के किसी भी मानव से मानव संचरण का मामला सामने नहीं आया है.

क्या है लक्षण?

वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नहीं होता हैं. जबकि कुछ लोगों में यह संक्रमण डेंगू या चिकनगुनिया जैसा हो सकता है. वेस्ट नाइल फीवर प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, थकान, शरीर में दर्द, मितली, उल्टी, त्वचा पर चकत्ते (सिर्फ कभी-कभी) और लिम्फ ग्रंथियों में सूजन शामिल है. जैसे ही स्थिति गंभीर हो जाती है, गर्दन की जकड़न, भटकाव, कोमा, कंपकंपी, मांसपेशियों में कमजोरी और पक्षाघात (Paralysis) हो सकता है.

जबकि कुछ मामलों में यह वायरस इंसान के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) को बुरी तरह से प्रभावित करता है. ऐसे गंभीर मामलों में मरीज की मृत्यु (10 में से लगभग 1 व्यक्ति) भी हो जाती है. गंभीर मामलों में रोगियों को बेहतर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है. Fact Check: क्या वुहान की प्रयोगशाला से भाग निकले वियाग्रा वाली वैक्सीन लगे हजारों मच्छर? जानें वायरल खबर की सच्चाई

कैसे करें बचाव?

फिलहाल वेस्ट नाइल वायरस संक्रमण के लिए कोई वैक्सीन या विशिष्ट एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं है. संक्रमण को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका मच्छरों के काटने से बचना है. मच्छर का चक्र पूरा होने में 7-12 दिन लगते हैं. इसलिए, अगर पानी को स्टोर करने वाले किसी भी बर्तन या कंटेनर को सप्ताह में एक बार अच्छी तरह से साफ किया जाता है, तो मच्छरों के प्रजनन की कोई संभावना नहीं है. इसके आलावा, मच्छरदानी या मॉस्क्यूटो रेपेलेंट का उपयोग किया जा सकता है. साथ ही पूरे बाजू की कमीज और ट्राउजर पहनने से मच्छरों के काटने से बचा जा सकता है. इस बीमारी के उपचार और रोकथाम से संबंधित और अधिक जानकारी के लिए यहां क्लीक करें.