नयी दिल्ली, 11 फरवरी वैज्ञानिकों ने मलेरिया बीमारी का प्रसार करने वाले मच्छरों का विस्तृत जीनोम मानचित्र तैयार किया है जिसमें हजारों नए जीन का पता चला है जो बीमारी के प्रसार को आनुवांशिकी आधार पर रोकने की रणनीति विकसित करने में अहम साबित हो सकते हैं।
बेंगलुरु स्थित टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक ऐंड सोसाइटी (टीआईजीएस) एवं इंस्टीट्यूट ऑफ बायोइंफॉर्मेटिक ऐंड एप्लायड बायोटेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों सहित अनुसंधानकर्ताओं ने रेखांकित किया कि वेक्टर जनित बीमारियों में मच्छर द्वारा प्रसारित मलेरिया विश्व की सबसे घातक बीमारियों में एक है जिसकी वजह से वर्ष 2019 में करीब चार लाख लोगों की जान गई थी।
मलेरिया का प्रसार रोकने के लिए सीआरआईएसपीआर और जीन आधारित रणनीति तैयार करने के लिए वैज्ञानिकों को वेक्टर मच्छर के जीनोम की जानकारी होने की जरूरत है।
सीआरआईएसपीआर वह तकनीक है जिसमें जीन संशोधन किया जाता है और अनुसंधानकर्ता आसानी से डीएनए के क्रम में बदलाव कर जीन के कार्य में बदलाव कर सकते हैं।
अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (यूसी), इर्विन में परियोजना वैज्ञानिक महुल चक्रवर्ती एवं उनके सहयोगियों ने एशियाई मलेरिया वेक्टर (संचारक) मच्छर एनोफिलिस स्टीफेंसी का नया संदर्भ जीनोम तैयार किया है।
टीआईजीएस-यूसी सैन डियागो के विज्ञान निदेशक प्रोफेसर इथन बियेर ने कहा, ‘‘ एनोफिलिस स्टीफेंसी दक्षिण एशिया के शहरी इलाकों का प्रमुख मलेरिया संचारक मच्छर है जिसने हाल में हॉर्न ऑफ अफ्रीका में घुसपैठ की है। पूर्वानुमान है कि यह अफ्रीका के शहरी क्षेत्र में मलेरिया का प्रसार करने वाला प्रमुख मच्छर बन जाएगा और यह 12.6 करोड़ शहरी अफ्रीकी को खतरा उत्पन्न करेगा।’’
जर्नल बीएमसी बायोलॉजी में प्रकाशित अनुसंधान पत्र के सह लेखक बियेर ने कहा, ‘‘नया जीनोम संग्रह आनुवांशिकी कार्यप्रणाली का विस्तृत एवं सटीक मानचित्रण हैं और यह एनोफिलिस स्टीफेंसी की आनुवांशिकी के अध्ययन के नए युग का आधार साबित होगा।’’
एनोफिलिस स्टीफेंसी के अद्यतन जीनोम मानचित्र में अनुसंधानकर्ताओं ने 3000 से अधिक जीन का पता लगाया है जिसकी जानकारी पिछले मानचित्रण में नहीं लगी थी।
वैज्ञानिकों ने बताया कि जिन नए जीन की जानकारी मिली है वे मच्छरों के खून चूसने, खून को पचाने, प्रजनन एवं बीमारी फैलाने वाले जीवाणु के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
वैज्ञानिकों को इस दौरान पूर्व में अज्ञात 29 जीन का भी पता चला है जो रासायनिक कीटनाशकों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता में अहम भूमिका निभाते हैं।
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