नई दिल्ली: अक्सर कश्मीर (Kashmir) राग अलापने वाले पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) की मुसीबते बढती नजर आ रही है. जम्मू और कश्मीर (Jammu And Kashmir) का विशेष राज्य का दर्जा खत्म होने के बाद पाकिस्तान के भीतर एक बार फिर बंटवारें की मांग जोरशोर से उठ रही है. वॉइस ऑफ कराची ने पाकिस्तान के भीतर ही स्वायत्त 'ग्रेटर कराची' की मांग दुहराई है.
वॉइस ऑफ कराची के प्रमुख नदीम नुसरत (Nadeem Nusrat) का कहना है कि जबतक पाकिस्तान बलोच, मोहारजी, पश्तून के लोगों की मांग को पूरी नहीं करता है, उसे कश्मीर मसले पर बोलने का हक नहीं है. पाकिस्तान के डर से अमेरिका में रहकर अपनी गतिविधियां चलाने वाले इस समूह के प्रमुख ने कहा कि पाकिस्तान के पास किसी भी क्षेत्रीय या अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कश्मीरियों के मामले की पैरवी करने का कोई नैतिक आधार नहीं है, क्योकि वह अपने खुद के नागरिकों को मूल मानवाधिकारों से वंचित कर रहा है.
Pak has no moral ground to plead Kashmir's case if it is depriving own citizens': Mohajir leader
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— ANI Digital (@ani_digital) August 6, 2019
गौरतलब हो कि पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त किये जाने के भारत सरकार के निर्णय की आलोचना की और उसने भारत के ‘‘अवैध’’ और ‘‘एकतरफा’’ कदम के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में अपील करने समेत सभी संभावित विकल्पों पर विचार करने का संकल्प किया.
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मोदी सरकार ने सोमवार (5 अगस्त) को ऐतिहासिक फैसला लेते हुए संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया, जिसके कारण जम्मू एवं कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था. मोदी सरकार के संकल्प के अनुसार अब जम्मू एवं कश्मीर राज्य न रहकर दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंट जाएगा, जिसमें से एक जम्मू एवं कश्मीर और दूसरा लद्दाख होगा. जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा होगी, लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी.