पाकिस्तान के बाद अब बांग्लादेश में टायफॉयड का एक खतरनाक वैरिएंट फैल रहा है. कई एंटीबायोटिक दवाएं इस वैरिएंट के आगे नाकाम हैं.बांग्लादेश ने महीने भर के भीतर पांच करोड़ बच्चों को टायफॉयड कॉन्जुगेट वैक्सीन (TCV) लगाने का लक्ष्य रखा है. यह टीका नौ महीने के शिशुओं से लेकर 15 साल तक के किशोरों को लगाया जाएगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्य यह वैक्सीन पांच साल तक असरदार रहती हैं और टायफॉयड के खिलाफ सुरक्षा देती है. बांग्लादेश की सरकार के मुताबिक TCV टीका, सरकारी टीकाकरण अभियान के तहत मुफ्त में लगाया जाएगा.
असल में दक्षिण एशिया में टायफॉयड का एक खतरनाक वैरिएंट सक्रिय है. इस वैरिएंट के खिलाफ सिर्फ एक ही एंटीबायोटिक असर कर पाती है. 2016 से यह वैरिएंट पाकिस्तान में फैला हुआ है.
टायफॉयड के इस वैरिएंट के आगे दवाएं भी नाकाम
टायफॉयड साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया की वजह से फैलता है. यह बैक्टीरिया आम तौर पर दूषित भोजन और पानी में पाया जाता है. इस बैक्टीरिया की चपेट में आते ही आम तौर पर इंसान को बुखार, उल्टियां, पेट दर्द और छाती पर गुलाबी धब्बों की शिकायत होने लगती है. गंभीर मामलों में अगर संक्रमण आंतों या सिर तक पहुंच जाए तो मौत भी हो सकती है.
खसरा इतना घातक क्यों होता है?
हाल ही में बांग्लादेश के रिसर्चरों को टायफॉयड का सेफ्ट्रिआसन प्रतिरोधी वैरिएंट मिला. और इसी के बाद गंभीर चिंता शुरू हुई. सेफ्ट्रिआसन उन चुनिंदा दवाओं में से एक है जो अब भी टायफॉयड के लिए असरदार मानी जाती हैं.
TCV से बड़ी उम्मीदें
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि फौरन बचाव उपायों के बिना इस वैरिएंट का इलाज करना मुश्किल हो जाएगा. TCV भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाई है और बांग्लादेश में इसकी डोज गावी अलायंस की पहल के तहत वितरित की जा रही है. अनुमान है कि यह टीका इंफेक्शन को घटाता है और उसके प्रसार को भी धीमा करता है.
टीकाकरण अभियान उद्घाटन करते हुए बांग्लादेश की हेल्थ एडवाइजर नूरजहां बेगम ने कहा, यह "शर्मनाक" है कि बांग्लादेश के बच्चे अब भी टायफॉयड से मर रहे हैं. स्वास्थ्य सलाहकार ने उम्मीद जताई कि जिस तरह बांग्लादेश ने डायरिया और रतौंधी पर काबू पाया, वैसी ही सफलता टायफॉयड के खिलाफ भी हासिल की जा सकेगी.
टीकाकरण अभियान के तहत 13 नवंबर तक स्कूलों, क्लीनिकों में और घर घर जाकर वैक्सीन लगाई जाएगी.
बांग्लादेश के अधिकारियों के मुताबिक, TCV का सेफ्टी रिकॉर्ड पाकिस्तान, नेपाल और भारत के मुंबई में जांचा जा चुका है. वैक्सीन से किसी किस्म का बड़ा साइड इफेक्ट सामने नहीं आया.













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