कोविड-19: जीरो से भी नीचे गिरने के बाद अमेरिकी तेल के दामों में मामूली सुधार! फिर भी नहीं मिल रहे खरीददार!
पेट्रोल, डीजल के दाम में वृद्धि (Photo Credits: IANS)

कोविड-19 (Covid-19) की निरंतर भयावह होती महामारी ने अमेरिका (America) के जनजीवन को तो जख्मी किया ही है, वहां की अर्थ व्यवस्था को भी रसातल में पहुंचा दिया है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अमेरिका के कच्चे तेल (Crude Oil) के व्यवसाय पर आया संकट. हांलाकि सोमवार (20 अप्रैल) को 0 डॉलर प्रति बैरल के ऐतिहासिक गिरावट के बाद मंगलवार (21 अप्रैल) को वायदा बाजार में अमेरिकी तेल के दामों में मामूली सुधार आने से तेल बाजार को किंचित राहत मिली है.

गौरतलब है कि न्यूयार्क में कच्चे तेल की कीमत में इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट सोमवार को देखने को मिली. अमेरिकी बेंचमार्क क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट ने सोमवार को इतिहास का सबसे भयावह रूप देखा था.

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जब माइनस में पहुंचा कारोबार- सोमवार को WTI (West Texas intermediate) में कच्चे तेल की कीमत जीरो डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे -$ 37.63 प्रति बैरल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था. ध्यान रहे कि सोमवार की सुबह कारोबार की शुरुआत 18.27 डॉलर प्रति बैरल से हुई थी, लेकिन चढ़ते दिन के साथ यह 1 डॉलर और फिर उसके बाद जीरो और अंततः माइनस में पहुंच गया था. गौरतलब है कि साल 1946 के बाद पहली बार कच्चे तेल में इतनी ज्यादा रिकॉर्ड गिरावट देखी गयी.

फिलहाल अमेरिकी वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट कच्चा तेल का भाव सोमवार को गिरकर गत सोमवार को 2 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनतम स्तर पर आ गया था. कोरोना वायरस (Corona Virus) के संक्रमण एवं कमोबेस पूरी दुनिया में लॉकडाउन के कारण कच्चे तेल की मांग में कमी आने और भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई.

संपूर्ण विश्व में तेल के सबसे बड़े निर्यातक OPEC (Organization of the Petroleum Exporting Countries) और इसके सहयोगी देश रूस इत्यादि ने पहले ही तेल के उत्पादन एवं मांग में रिकॉर्ड स्तर पर कमी लाने की सहमति जता चुके थे . इसके बाद ही अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने भी तेल उत्पादन में कमी लाने का निर्णय लिया था.

लेकिन कोविड-19 के कारण जबकि सारे उद्योग धंधे लगभग बंद पड़ चुके हैं, ऐसी स्थिति में तेल के उत्पादन में कमी करने के बावजूद दुनिया का कोई देश तेल खरीदने के लिए तैयार नहीं है क्योंकि उनके पास इस्तेमाल करने की अपेक्षा कहीं ज्यादा तेल का भंडारण है.

नहीं मिल रहे ग्राहक- वैश्विक मानक समय (Greenwich Mean Time) के अनुसार अपराह्न तीन बजे (भारतीय समय रात 8.30 बजे) कच्चे तेल के इस कीमत में मामूली सा सुधार देखने को मिला, जब यह कीमत 10.82 डॉलर प्रति बैरल था. वीकेंड से पूर्व यानी शुक्रवार की तुलना में यह भाव 41 प्रतिशत कम था.

दुनिया भर के तेल व्यापारियों ने कच्चे तेल के इतने निचले स्तर तक गिरी हुई स्थिति पर चिंता जाहिर की थी. क्योंकि मई माह के लिए डिलिवरी के तहत अनुबंधों को अंतिम रूप से सोमवार तक कर दिया जाता है. जबकि वस्तु स्थिति इतनी बुरी है कि कोई भी निवेशक देश फिलहाल कच्चे तेल की डिलिवरी लेने के लिये तैयार नहीं दिख रहा है.