नई दिल्ली: अमेरिका (USA) के अफगानिस्तान (Afghanistan) से अपने सैनिकों (Troops) को वापस बुलाने और भारत (India) के साथ सीमा गतिरोध जारी रहने के बीच चीन (China) पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) के सामने अपने होटन एयरबेस (Hotan Airbase) पर जियान एच-20 (Xian H-20) रणनीतिक स्टील्थ बॉम्बर्स (Stealth Bombers) का अंतिम परीक्षण कर रहा है. शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा कि एच-20 बमवर्षक का उद्देश्य राफेल जेट (Rafale Jet) के अधिग्रहण के माध्यम से भारत द्वारा हासिल की गई बढ़त को समाप्त करना है. India-China Tension: LAC पर तनाव बढ़ती चीनी आक्रामकता और प्रभुत्व कायम करने की प्रवृत्ति को दर्शाता है
लंबी दूरी की रणनीतिक स्टील्थ बॉम्बर का अंतिम परीक्षण 8 जून को शुरू हुआ और 22 जून तक जारी रहेगा, जिस दिन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के गठन के 100 साल पूरे होंगे. जियान एच-20 रणनीतिक स्टील्थ बॉम्बर में भारी पेलोड ले जाने की क्षमता के साथ-साथ स्टील्थ फीचर और लंबी सहनशक्ति है, जो संभावित रूप से भारत के नए शामिल राफेल विमान की रडार का पता लगाने और अक्षम करने की क्षमता को चकमा दे सकता है.
भारत ने सितंबर 2016 में 59,000 करोड़ रुपये की लागत से 36 विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. पिछले महीने छठे बैच के आने के बाद, भारतीय वायुसेना को अब दो-तिहाई विमानों का ऑर्डर दिया गया है.
फ्रांस का राफेल 4.5 पीढ़ी का विमान है और इसमें नवीनतम हथियार, बेहतर सेंसर और पूरी तरह से एकीकृत वास्तुकला है. यह एक सर्व-भूमिका वाला विमान है जिसका अर्थ है कि यह एक बार में कम से कम चार मिशनों को अंजाम दे सकता है.
भारत ने पूर्वी लद्दाख में राफेल विमान की क्षमता का प्रदर्शन किया था और यह भी कि इसे कहां तैनात किया जाएगा. चीन ने अभी तक यह घोषणा नहीं की है कि अंतिम परीक्षण रन और लद्दाख के सामने अपने ठिकानों पर संभावित बदलाव के आकलन के बाद एच-20 को कहां तैनात किया जाएगा.
चीन, जिसने एच -20 बमवर्षकों को गेम चेंजर के रूप में शामिल किया है, अमेरिका और रूस के बाद लड़ाकू विमानों के लिए चुपके तकनीक रखने वाला तीसरा देश है. इस कदम का क्षेत्र में भू-राजनीति के लिए असर हो सकता है और साथ ही विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान में अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा शक्ति का खेल भी हो सकता है.
एक शीर्ष सरकारी सूत्र ने कहा कि स्टील्थ फीचर चीनी रणनीतिक सुपरसोनिक जेट को किसी भी रडार द्वारा अनिर्धारित बनाता है और बीजिंग चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के साथ-साथ अफगानिस्तान में भी अपने निवेश की रक्षा करने के लिए आक्रामक हो रहा है. सूत्र ने कहा कि यह भारत के लिए चिंता का विषय है.
जेट विमानों ने विजुअल रेंज से परे (3,000 किमी) बढ़ाया है और महत्वपूर्ण पेलोड इन बमवर्षकों को सीमा पार किए बिना भी बलूचिस्तान, अफगानिस्तान या लद्दाख में लक्ष्य को निशाना बना सकते हैं. चीनी सैन्य शक्ति पर 2020 की पेंटागन की रिपोर्ट के अनुसार, एच-20 की सीमा 5,281 मील और 10 टन युद्ध सामग्री उठाने की क्षमता होने का अनुमान है.
चीन ने एच-20 बमवर्षकों का विकास 2010 में शुरू किया था, जब भारत 126 राफेल जेट खरीदने के लिए फ्रांस के डसॉल्ट एविएशन के साथ बातचीत कर रहा था.