ढाका, 24 जून: बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए. के. अब्दुल मोमेन (AK Abdul Memon) ने मंगलवार को कहा कि भारत उनके देश का सबसे बड़ा दोस्त है. साथ ही, उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत और चीन के बीच सीमा तनाव को कूटनीतिक रूप से हल कर लिया जाएगा. मोमेन ने आईएएनएस के साथ खास बातचीत में कहा, "बांग्लादेश शांति के लिए सबसे आगे रहने वालों में है. हम हमेशा पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के पक्षधर रहे हैं. हम प्रत्येक समस्या पर चर्चा कर समाधान निकालने में विश्वास करते हैं. हमने भारत-बांग्ला आपसी चर्चा से बहुत कुछ हासिल किया है."
उन्होंने कहा, "भारत हमारे मुक्ति युद्ध के दिनों से वास्तव में हमारा सबसे बड़ा दोस्त है..भारत-चीन, दोनों हमारे अच्छे दोस्त और करीबी पड़ोसी हैं. दोनों हमारे विकास सहयोगी हैं." हालांकि, विदेश मंत्री ने भारत-चीन विवाद में अपने देश की किसी भी भूमिका को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि बांग्लादेश को भारत और चीन के बीच लंबे समय से लंबित मुद्दों को हल करने में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है. नई दिल्ली और बीजिंग ने एक शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है, रक्षा अधिकारियों और विदेश मंत्रियों के स्तर पर बैठकें शुरू कर दी हैं..यह उम्मीद की किरण है. हम एक कूटनीतिक समाधान की उम्मीद कर रहे हैं."
मंत्री ने भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हालिया टकराव में सैनिकों की जानों के नुकसान पर गहरी संवेदना व्यक्त की. भारतीय टिप्पणीकारों और बांग्ला दैनिक आनंदबाजार पत्रिका में प्रकाशित खबर पर, जिसके कारण सोशल मीडिया पर हंगामा हुआ, अब्दुल मोमन ने कहा: "किसने चीन को 97 प्रतिशत निर्यात के शून्य-टैरिफ द्विपक्षीय समझौते को 'बेहद कम विकसित बांग्लादेश' के लिए 'दान' के रूप में वर्णित किया..इस पर कई लोग निराश हैं. मैंने रविवार को कहा कि यह शब्द (खैराती/ दान) मुझे स्वीकार्य नहीं है."
हालांकि, उन्होंने अखबार द्वारा इस मामले में माफी मांगने का स्वागत किया. मोमेन ने कहा, "आनंदबाजार ने अपनी गलती को स्वीकार करते हुए बिना शर्त माफी मांगी है, यह अच्छा है. उन्हें अहसास हुआ, इसके लिए मेरी तरफ से उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद. आशा करते हैं कि उन्हें भी अहसास होगा कि भारत, बांग्लादेश का बहुत अच्छा दोस्त है." उन्होंने आईएएनएस से कहा, "कई लोगों ने आधिकारिक तौर पर विरोध दर्ज करने के लिए कहा था लेकिन मैंने इनकार कर दिया क्योंकि, यह वास्तविक परिदृश्य को बिलकुल भी प्रतिबिंबित नहीं करता है. इसीलिए हमें नहीं लगता कि इन समाचार रिपोर्ट पर विरोध (आधिकारिक तौर पर) दर्ज कराने की आवश्यकता है."
कोलकाता स्थित बांग्ला दैनिक आनंदबाजार पत्रिका ने मंगलवार को कहा कि चीन को किए जाने वाले 97 प्रतिशत निर्यात के लिए शून्य-टैरिफ द्विपक्षीय समझौता, बांग्लादेश के लिए (चीन का) दान है. मंगलवार के प्रिंट संस्करण के चौथे पृष्ठ पर, अखबार ने अपनी गलती स्वीकार की और बिना शर्त माफी मांगी. आनंदबाजार ने 20 जून को, 'लद्दाख के बाद ढाका को अपने पक्ष में कर रहा बीजिंग' शीर्षक से एक रिपोर्ट में लिखा था, भारत के साथ टकराव के बाद 5,161 बांग्लादेशी उत्पादों को शुल्क मुक्त करने का चीन का हालिया निर्णय एक 'धर्मार्थ कार्य' है.
भारतीय मीडिया ने दावा किया कि चीन ने केवल भारत पर दबाव बनाने के लिए बांग्लादेश को ऐसा शुल्क मुक्त निर्यात अवसर दिया है. आनंदबाजार सहित कई भारतीय मीडिया संस्थान ने इसे 'धर्मार्थ' कार्य बताकर प्रकाशित किया. कुछ भारतीय समाचार प्रकाशनों ने कहा कि 'चीन ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ तनाव के बीच बांग्लादेश को अपने पक्ष में करने के लिए समझौते का इस्तेमाल किया.' इस आशय की रिपोर्ट पर बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने यह दूसरी बार प्रतिक्रिया दी है. अब्दुल मोमेन ने कहा कि उन्हें रविवार को कुछ मीडिया ने गलत तरीके से उद्धृत किया.
रविवार को बांग्लादेश की मीडिया रिपोटरें में बताया गया कि विदेश मंत्री ने कहा कि भारतीय मीडिया के कुछ वर्गों में बांग्लादेश को अपमानजनक तरीके से पेश किया जाना 'स्वागत योग्य' नहीं है. उन्होंने संकेत दिया है कि ढाका ने बांग्लादेश के बारे में भारतीय मीडिया की नकारात्मक रिपोटरें को गंभीरता से लिया और कहा कि 'ऐसा प्रतीत होता है कि वे (सरकार) बहुत परेशान हैं.'
मंत्री ने आईएएनएस से कहा, "हम बहुत खुश हैं कि भारत सरकार ने चीन के साथ समझौते के बारे में कुछ नहीं कहा. हम भारत के आभारी हैं." उन्होंने यह भी कहा कि चीन के साथ बांग्लादेश के द्विपक्षीय समझौते से भारत को भी आर्थिक लाभ होगा. अगर बांग्लादेश विकसित होता है, तो भारत को इसका लाभ मिलेगा.
हालांकि, विदेश मंत्री ने यह भी स्वीकार किया कि बांग्लादेश-चीन व्यापार संतुलन 'असंतुलित' है और यही बात भारत-बांग्लादेश व्यापार पर भी लागू होती है. उन्होंने कहा, हम भारत को केवल एक अरब डॉलर के उत्पादों का निर्यात करते हैं, लेकिन कई अरब डॉलर के भारतीय उत्पाद का भारी आयात करते हैं. बांग्लादेश इसी तरह चीन से भी भारी आयात करता है, निर्यात कम करता है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को हिला कर रख दिया है. हम सभी पड़ोसियों से हमारे विकास में भागीदार बनने का आग्रह कर रहे हैं. हम चीन के आभारी हैं कि वह इस संकट की घड़ी में हमारे लिए आगे आया है. उम्मीद है कि भारत भी आगे आएगा.