पेरू में एक विशालकाय व्हेल जीवाश्म के अवशेष मिले हैं, जो करीब 3.9 करोड़ साल पुराने हैं. यह अब तक दर्ज किए गए सबसे भारी और सबसे बड़े जानवर के अवशेष हैं. यह जानकारी नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुई है.इस प्राचीन व्हेल के अवशेष पेरू के दक्षिणी समुद्रतट के पास ईका रेगिस्तान में मिले थे. इटली के पीसा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस जीवाश्म की खोज की और इसे "पेरुसेटस कोलोसस" नाम दिया. इस जीवाश्म अवशेष में 13 वर्टेब्रे (रीढ़ की हड्डी), चार पसलियां और एक कूल्हे की हड्डी मिली है. इससे पता चलता है कि व्हेल की प्राचीन प्रजातियों के भी पिछले पैर छोटे आकार के हुआ करते थे.
ब्लू व्हेल से दोगुना वजन
मुख्य शोधकर्ता जोवानी बियानूची ने जीवाश्म से मिली जानकारियों के बारे में बताया, "भले ही पेरुसेटस कोलोसस का ढांचा पूरा नहीं है, लेकिन अनुमान संकेत करते हैं कि कंकाल का वजन करीब पांच से आठ टन था."
बियानूची आगे बताते हैं, "पेरुसेटस कोलोसस का बहुत भारी कंकाल, जो कि जिंदा होते हुए शरीर की लंबाई में करीब 20 मीटर रहा होगा, बताता है कि इस प्राचीन व्हेल का वजन 340 टन तक हो सकता है. सबसे विशाल ब्लू व्हेल से लगभग दोगुना और अब तक मिले सबसे विशालकाय डायनोसॉर अर्जेंटिनोसॉरस के अनुमानित भार से करीब तीन गुना ज्यादा."
विशाल आकार के कारण खुदाई में आई मुश्किलें
बियानूची के अनुसार, इस प्राचीन जीव का वजन संकेत देता है कि व्हेल जैसे समुद्री स्तनधारी जीवों के विकासक्रम में कम-से-कम दो बार शरीर में विशालकाय विस्तार हुआ. इसका पहला उदाहरण लगभग चार करोड़ साल पहले हुआ, जब बेसिलोसॉरिड्स के शरीर में फैलाव हुआ. दूसरी मिसाल कमोबेश हालिया है, जब विशाल बलीन व्हेल का क्रमिक विकास हुआ.
पीएचडी के छात्र मार्को मेराल्ला ने बताया कि बड़े आकार और हिस्सों में होने के कारण इस विशालकाय व्हेल की खुदाई में काफी चुनौतियां आईं. मेराल्ला ने बताया, "हर एक वर्टेब्रे इतना भारी है. सबसे हल्का 100 किलो से ज्यादा वजनदार है." भारी होने के कारण ना केवल खुदाई, बल्कि कंकाल की एनाटमी में भी जटिलताएं बढ़ गईं.
पीवाई/एसएम (डीपीए)