नई दिल्ली: बुद्धि मनुष्यों का प्रमुख गुण है. हमारी सभ्यता ने जो कुछ भी उपलब्धियां हासिल की हैं, वे मनुष्य की बुद्धि का ही नतीजा हैं. बुद्धि की मदद से ही मनुष्य विभिन्न जानवरों का और विभिन्न मशीनों का अपने हित के इस्तेमाल करता है. अब तक जितनी भी मशीनें बनी हैं, वे पहले से निर्धारित काम को करती है. चाहे वह कारखाने हों, मोटर गाड़ी हो या कंप्यूटर हो. लेकिन अब मनुष्यों ने अपनी बुद्धि की मदद से ही मशीनों को बुद्धिमान बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है. हालांकि यह तकनीक अभी शुरुआती दौर में ही है, लेकिन इसके क्रांतिकारी नतीजे सामने आने शुरू हो गए हैं.
मसलन, वाहन निर्माण, बैंकिंग और आईटी क्षेत्र में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है. कृत्रिम बुद्धिमत्ता का वैश्विक बाजार 62.9 फीसदी दर से बढ़ रहा है. स्वचालित कार, चैटबॉट (जो वेबसाइट सर्फ करते समय चैटिंग करते हुए सह जानकारी मुहैया कराते हैं), पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट (गूगल असिस्टेंट, अमेजन एलेक्सा, एप्पल सीरी, माइक्रोसॉफ्ट कॉर्टना आदि) कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संचालित होते हैं.
कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर दुनिया भर में अध्ययन तेज हुए हैं और इसमें भारी निवेश किया रहा है. स्वचालित कारों का निर्माण हो या गो कम्प्यूटर का निर्माण जो किसी मानव खिलाड़ी को आसानी से हरा सकता है. आईबीएम कंपनी का कृत्रिम बुद्धि से लैस डीप ब्ल्यू कंप्यूटर ने कास्पोरोव को शतरंज मे हराया था, तो गूगल ने अल्फागो ने मानव को एक कंप्युटर बोर्ड खेल गो मे हराया था. तो कृत्रिम बुद्धि में इतनी क्षमता हो सकती है कि वह मनुष्य से भी आगे निकल जाए.
कृत्रिम बुद्धिमत्ता में यह ताकत भी है इससे हम गरीबी और बीमारी को खत्म करने का लक्ष्य भी प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि सच यह भी है कि अगर हमने इसके जोखिम से बचने का तरीका नहीं ढूंढ़ा, तो सभ्यता खत्म भी हो सकती है.
तमाम फायदों के बावजूद कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अपने खतरे हैं. इसकी मदद से शक्तिशाली स्वचालित हथियार बन सकते हैं या फिर ऐसे उपकरण, जिनके सहारे चंद लोग एक बड़ी आबादी का शोषण कर सकें. यह अर्थव्यवस्था को भी बड़ी चोट पहुंचा सकती है. यह भविष्य में मशीनों को मनुष्य के नियंत्रण से आजादी दिला सकता है, जिसका हमारे साथ संघर्ष हो सकता है.