मानव इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक चांद पर इंसान का पहुंचना भी है. चांद पर इंसान के कदम पड़ना एक बहुत बड़ी सफलता थी. इस उपलब्धि को 50 साल पूरे हो गए हैं. नासा के अपोलो 11 मून मिशन की 50वीं सालगिरह है. 50 साल पहले पहली बार नासा का अपोलो मिशन चांद पर पहुंचा था और किसी व्यक्ति ने चांद की सतह पर अपना कदम रखा था. अपोलो 11 मिशन (Apollo 11's Mission) 16 जुलाई 1969 को लॉन्च किया गया था और चांद पर इंसान के पहले कदम 20 जुलाई को पड़े थे. अपोलो मून प्रोग्राम को अभी भी मानव सभ्यता की सबसे महान तकनीकी उपलब्धि माना जाता है.
20 जुलाई 1969 को अमेरिका के एयरोनॉटिकल इंजीनियर और सेना के पायलट नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) ने चांद पर कदम रखा था. उनके साथ चांद की धरती पर उतरने वालों में बज एल्ड्रिन (Buzz Aldrin) भी थे. अपोलो 11 अंतरिक्ष मिशन के साथ चांद की ओर रवाना होने वालों में इन दोनों के अलावा माइकल कॉलिन्स (Michael Collins) भी थे, जो चांद की सतह पर न उतरकर इसकी परिक्रमा कर रहे थे. इस मिशन की सफलता के लिए अमेरिका की दुनियाभर में आज तक वाहवाही होती आ रही है. इस मिशन को अंतरिक्ष के रहस्यों को खोजने में सबसे बड़ा पड़ाव भी माना गया है.
चार दिन का सफर तय कर चांद पर पहुंचा अपोलो- 11
16 जुलाई 1969 को अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में स्थित जॉन एफ कैनेडी अंतरिक्ष केन्द्र से सुबह 8:32 बजे उड़ा नासा का अंतरिक्ष यान अपोलो- 11, चार दिन का सफर पूरा करके 20 जुलाई 1969 को इंसान को धरती के प्राकृतिक उपग्रह चांद पर लेकर पहुंचा. यह यान 21 घंटे 31 मिनट तक चंद्रमा की सतह पर रहा.
माइकल कॉलिन्स थे अपोलो- 11 के पायलट
अपोलो- 11 अंतरिक्ष यान में माइकल कॉलिन्स ने मॉड्यूल पायलट की जिम्मेदारी संभाली थी, जिससे नील आर्मस्ट्रॉन्ग और एडविन 'बज़' एल्ड्रिन चांद पर भ्रमण के लिए निकले सकें. जिस लूनर मॉड्यूल से ये दोनों एस्ट्रोनॉट्स अपोलो- 11 से निकल चांद तक पहुंचे उसे 'द ईगल' नाम दिया गया है. अपोलो- 11 के इस मिशन के साथ ही चांद पर पहुंचने वाले नील आर्मस्ट्रॉन्ग पहले और एडविन 'बज' एल्ड्रिन दूसरे शख्स बने.
ऐसा था चांद तक का सफर
आर्मस्ट्रांग, एल्ड्रिन और कोलिन्स ने चांद पर जाने और वापस अंतरिक्ष में आने के दौरान लगभग 10 लाख मील की दूरी एक बड़ी कार के बराबर के कम्पार्टमेंट में एक साथ रह कर बिताई. कमांड मॉड्यूल में लॉन्च और लैंडिंग के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को बेंच की तरह "काउच" में बांधा गया था, जिसका आकार 3.9 मीटर (12.8 फुट) था. यहां छोटी जगह में कैद होने के डर के लिए कोई जगह नहीं थी.
चांद से लौटने पर क्या हुआ?
जब नील आर्मस्ट्रांग, बज एल्ड्रिन, और माइकल कॉलिन्स चांद से धरती पर लौटे, तो किसी बीमारी की आशंका से उन्हें पहले अमरीकी नौसेना के जहाज यूएसएस हॉर्नेट पर बंद कर के रखा गया था.
मिशन से जुड़े थे करीब 4 लाख लोग
नासा का अनुमान है कि अपोलो मिशन से करीब 4 लाख लोग जुड़े हुए थे. इनमें चांद पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों से लेकर मिशन कंट्रोलर, ठेकेदार, कैटरर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, नर्सें, डॉक्टर, गणितज्ञ और प्रोग्रामर तक, सभी शामिल थे. नील आर्मस्ट्रॉन्ग को चंद्रमा पर उतरने के लिए ख़ास तौर पर नहीं चुना गया था. असल में तो वो ऐसे मिशन पर जाने के लिए चुनी गई दूसरी टीम का हिस्सा थे.
चांद से पहले यहां गए थे नील आर्मस्ट्रांग
मानवता की सफलता के पीछे आइसलैंड का भी हाथ था. अपोलो 11 मिशन से पहले नासा अंतरिक्षयात्रियों को ऐसी जगह ट्रेनिंग देना चाहता था जहां की धरती चांद की सतह से मिलती-जुलती हो. इसके लिए आइसलैंड के उत्तरी तट पर हुसाविक को चुना गया, जो 2,300 मछुआरों का एक छोटा शहर था.
नासा ने 1965 से 1967 के बीच प्रशिक्षण के लिए 32 अंतरिक्षयात्रियों को यहां भेजा. अब तक जिन 12 लोगों ने चांद पर कदम रखा है उनमें से 9 पहले हुसाविक आए थे, जिनमें आर्मस्ट्रांग भी शामिल थे. चांद पर कदम रखने के 50 साल पूरे होने पर यह शहर उस यादगार पल का जश्न मनाने की तैयारी कर रहा है. अपोलो मिशन के उपकरणों की जांच के लिए नासा अंतरिक्षयात्रियों को पृथ्वी के उन हिस्सों में भेजता था, जहां का परिवेश धरती के दूसरे हिस्सों से बिल्कुल अलग हो.
अब तक 12 अंतरिक्ष यात्रियों ने रखे चांद पर कदम
अपोलो के कुल 11 मिशन में 33 एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष मे गए थे. इन में से 27 चांद तक पहुंचे. 24 ने चांद का चक्कर लगाया. लेकिन, केवल 12 अंतरिक्ष यात्रियों को ही चांद की सतह पर कदम रखने का मौका मिला.
चांद पर पहुंचने के बाद नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने कही ये बात
नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम रखने के बाद कहा 'ये इंसान का एक छोटा सा कदम है और मानवता की लंबी छलांग है. जब आप चांद पर उतरने वाले दूसरे बज एल्ड्रिन ने कहा था कि, 'शानदार एकांत.' चांद पर कदम रखने वाले तीसरे यक्ति पीट कोनराड ने कहा था... 'गजब' भले ही नील के लिए वो छोटा कदम था. लेकिन मेरे लिए तो बहुत लंबी छलांग है.' बाद में चांद पर उतरने वालों में से एक, अपोलो 16 मिशन के चार्ली ड्यूक ने कहा था-हॉट डॉग. ये तो बड़ा ही शानदार है.