World Pride Month 2019: गूगल मना रहा है 'गर्व का जश्न', जानिए कब और किसने की थी इसकी शुरुआत
गूगल हमेशा खास मौकों पर डूडल बनाकर उस मौके को सेलिब्रेट करता है, इस बार भी गूगल ने कुछ ऐसा ही किया है. आज 4 जून है आज ही के दिन 50 साल पहले समलैंगिकों को समाज में सम्मान दिया गया था....
World Pride Month 2019: गूगल हमेशा खास मौकों पर डूडल बनाकर उस मौके को सेलिब्रेट करता है, इस बार भी गूगल ने कुछ ऐसा ही किया है. आज 4 जून है आज ही के दिन 50 साल पहले समलैंगिकों को समाज में सम्मान दिया गया था. Google आज Doodle के जरिए एलजीबीटी (LGBT) समुदाय के प्राइड डे की 50वीं सालगिरह यानी 'गर्व का जश्न' मना रहा है. जून का पूरा महीना विश्व में 'गर्व का जश्न' (Pride Day) के रूप में एलजीबीटी समुदाय बड़ी धूम-धाम से मनाता है. इनमें भारत कनाडा, इंग्लैंड, फ्रांस जैसे कई देश शामिल है.
हर साल जून के महीने में एलजीबीटी समुदाय कई अलग-अलग तरीकों से मनाता है. दुनिया भर में इस विशेष महीने के दौरान विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जो कि दुनिया भर में एलजीबीटी लोगों के प्रभाव को पहचानने का और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है. प्राइड डे जून में इसलिए मनाया जाता है क्योंकि साल 1969 में स्टोनवेल (Stonewall) दंगे हुए थे. द मैनहट्टन (Manhattan) के ग्रीनविच (Greenwich) गांव के स्टोनवेल में सुबह के समय हुई छापेमारी से दंगों का संकेत मिला. LGBT समुदाय ने छापे का विरोध करने के लिए कई बार हिंसक प्रदर्शनों की एक श्रृंखला का आयोजन किया और ऐसे स्थानों की मांग की जहां समलैंगिक जा सकते हैं और अपने सेक्शुअल प्रिफरेंस के बारे में खुलकर बात कर सकते हैं. इन स्थानो पर उनकी गिरफ्तारी की कोई आशंका न होने की भी मांग की. इन दंगों ने एलजीबीटी लोगों के अधिकारों के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया और 6 महीने के भीतर न्यूयॉर्क में 2 समलैंगिक कार्यकर्ता समूहों का गठन किया गया था. इस घटना के बाद न सिर्फ अमेरिका में बल्कि दुनिया भर में ऐसे कई समलैंगिक अधिकार संगठनों का गठन किया गया. यही वो साल था जब समलैंगिकों ने अपने लिए समान अधिकारों की मांग की थी. स्टोनवेल दंगों के बाद एलजीबीटी समुदाय का उदय हुआ.
एक महीने तक चलने वाले प्राइड परेड उत्सव में LGBT समुदाय के लोग शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और अपने मुद्दों पर सरकार से मांग करते हैं. LGBT समुदाय की 25वीं सालगिरह पर न्यूयॉर्क प्राइड परेड में करीब 500,000 लोगों ने भाग लिया था. न्यूयॉर्क में होनेवाली LGBT प्राइड परेड अब तक की सबसे बड़ी परेड है.
महत्त्व:
प्राइड मंथ (Pride Month) इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एलजीबीटी समुदाय के भीतर भारी बदलाव की शुरुआत के साथ-साथ व्यापक सामाजिक निहितार्थ को भी दर्शाता है. इसके बाद भी समाज में इन लोगों के साथ अन्याय अब भी होता है. लोग इन्हें घृणा भरीं नजरों से देखते हैं. 1969 के दंगों के बाद से यह समाज एक लंबा सफर तय कर चुका है और इस लंबे समय से चली आ रही परंपरा को जारी रखते हुए हमें जागरूकता बढ़ानी चाहिए. समाज के नजरिए में सुधार लानी चाहिए और LGBT समुदाय के लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए.
किसने की थी शुरुआत:
'PRIDE OF MOTHER' के रूप में जानी जानेवाली ब्रेंडा हावर्ड (Brenda Howard) ने सबसे पहले मार्च का कॉर्डिनेशन किया था. उन्होंने जून के महीने भर इस समुदाय के लोगों को प्राइड परेड मार्च का आइडिया दिया था. जिसकी वजह से हर साल आयोजित होने वाला एलजीबीटी समारोह दुनिया भर में मनाया जाने लगा.
सर्च इंजिन गूगल ने डूडल बनाकर समाज के लोगों को LGBT समुदाय के लोगों को समान नजर से देखने और उन्हें सम्मान देने के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया है.