AI IVF Technology India: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब तकनीक की दुनिया तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि स्वास्थ्य से लेकर निजी जीवन तक, हर जगह अपना असर दिखा रहा है. भारत में, IVF (In-Vitro Fertilization) क्लीनिक अब इलाज की सफलता दर बढ़ाने और लागत कम करने के लिए भी AI की मदद ले रहे हैं. नोवा आईवीएफ (Nova IVF), बिरला फर्टिलिटी (Birla Fertility), प्राइम आईवीएफ (Prime IVF), फर्टिनाइन (Ferty9) और मदरहुड आईवीएफ (Motherhood IVF) जैसी बड़ी कंपनियां अब भ्रूण और शुक्राणु चयन के लिए AI Tools का इस्तेमाल कर रही हैं. माना जा रहा है कि इससे नतीजे ज्यादा सटीक होंगे और इलाज आम लोगों की पहुच में होगा.
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Nova IVF Fertility ने लॉन्च किया AI Tool
बेंगलुरु की नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी (Nova IVF Fertility) ने हाल ही में वीटा एम्ब्रियो (Vita Embryo AI Tool) नामक एक एआई टूल लॉन्च किया है, जिसे दक्षिण कोरिया की काई हेल्थ के सहयोग से विकसित किया गया है. कंपनी का कहना है कि IVF लैब इलाज (Lab Treatment) की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है और वहां टेक्नोलॉजी इनोवेशन से मरीजों को काफी राहत मिलेगी.
AI का मानवीय रिश्तों पर भी दिखने लगा असर
एआई का असर सिर्फ चिकित्सा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मानवीय रिश्तों पर भी दिखने लगा है. एआई के गॉडफादर कहे जाने वाले जेफ्री हिंटन (Geoffrey Hinton) ने हाल ही में एक मजेदार किस्सा साझा किया. उन्होंने बताया कि उनकी पूर्व प्रेमिका (Ex Girlfriend) ने उनसे ब्रेकअप करने के लिए चैटजीपीटी (ChatGPT) की मदद ली थी. चैटबॉट ने ही उनके बारे में एक लंबा-चौड़ा संदेश लिखा था, जिसे पढ़कर हिंटन समझ गए कि रिश्ता खत्म हो गया है.
भविष्य में एक बड़ा खतरा बन सकता है AI
हिंटन का मानना है कि अगर एआई इंसानों से ज़्यादा बुद्धिमान हो गया, तो उसे नियंत्रित करना नामुमकिन हो सकता है. उनका कहना है कि अगले 20 सालों में सुपर इंटेलिजेंस एक हकीकत बन सकता है. तब मशीनें इंसानों से आगे निकलने और उन्हें हराने की क्षमता रख सकती हैं. यही वजह है कि आज AI को लेकर जितनी उम्मीदें हैं, उतने ही बड़े खतरे भी हैं.
Source: Business Standard & IndiaToday













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