भारतीय पैरा-आर्चरी की दुनिया में शीतल देवी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. उन्होंने पेरिस पैरालंपिक 2024 में राकेश कुमार के साथ मिलकर मिक्स्ड टीम कम्पाउंड आर्चरी में कांस्य पदक जीतकर भारतीय महिलाओं के लिए इतिहास रचा. शीतल देवी आर्चरी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं.
शीतल देवी का जन्म बिना हाथों के हुआ था, जो फोकोमीलिया नामक एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति के कारण है. वह दुनिया की पहली महिला पैरा-आर्चर हैं जिनके ऊपरी अंग नहीं हैं और फिर भी उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा की है. अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित 17 वर्षीय शीतल ने दुनिया भर में अपने साहस और मेहनत से लाखों लोगों को प्रेरित किया है.
हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक और अद्भुत भारतीय पैरा-आर्चर दिखाई गईं, जिनके पास ना तो हाथ हैं, ना पैर, लेकिन फिर भी वह निशाना साध रही हैं. यह आर्चर हैं पायल नाग, जो ओडिशा के बलांगीर जिले की रहने वाली हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पायल ने अपने बचपन में एक दुर्घटना के दौरान बिजली के झटके से अपने अंग खो दिए थे.
Inspired by the incredible Sheetal Devi, this 13-year-old girl with no arms or legs is breaking barriers and chasing her dreams in archery. 🏹#Archery pic.twitter.com/GkFFvMJYyj
— World Archery (@worldarchery) September 8, 2024
पायल नाग का वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें व्यापक सराहना और समर्थन मिल रहा है. वह भी शीतल देवी के कोच के अंतर्गत प्रशिक्षण ले रही हैं और उनकी कहानी आने वाले समय में भारतीय पैरा-आर्चरी में नए कीर्तिमान स्थापित करने का संकल्प दिखाती है.
शीतल देवी ने अपने संघर्ष और समर्पण से न केवल अपने लिए बल्कि लाखों दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए उम्मीद की एक नई किरण जगाई है. और अब पायल नाग भी इसी राह पर चल पड़ी हैं, जो यह साबित करती हैं कि असली ताकत शरीर में नहीं, बल्कि दिल और दिमाग में होती है.