कंपनियों का दिवालियापन जर्मनी में संकट बन रहा है
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पिछले हफ्ते ही फ्लाइंग टैक्सी स्टार्टअप वोलोकॉप्टर ने खुद को दिवालिया घोषित करने की अर्जी डालने का एलान किया. इससे ठीक पहले इसी तरह की ई-एयरक्राफ्ट कंपनी लिलियम को किसी तरह दिवालिया होने से बचाया गया था.साल 2024 में हर महीने 1,600 से ज्यादा कंपनियों ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए अर्जी दाखिल की. देश में कॉर्पोरेट दिवालियापन 2009 के आर्थिक संकट के स्तर पर पहुंच गया है. कंपनियों के दिवालियेपन पर रिसर्च करने वाले रिसर्च ने सोमवार को यह जानकारी दी.

मुश्किलों में दिवालिया हो रही कंपनियां

दिवालिया होने का मतलब है कि कंपनी अपने कर्जों का भुगतान करने में समर्थ नहीं है. हाले इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च (आईडब्ल्यूएच) में इन्सॉल्वेंसी रिसर्च के प्रमुख श्टेफेन म्यूलर का कहना है, "हम उस रेंज में हैं जहां कोई भी महीना 20 साल के ऊंचे स्तर तक आसानी से पहुंच सकता है. 2009 के आर्थिक संकट में हमारे यहां करीब 1,400 पार्टनरशिप और कॉर्पोरेशन हर महीने दिवालिया हो रहे थे. अब हम एक बार फिर उसी स्तर पर पहुंच गए हैं."

कम नहीं हो रही हैं जर्मनी की आर्थिक मुश्किलें

हालांकि उस समय लगभग बराबर संख्या में छोटी कंपनियां भी दिवालिया होने वालों में शामिल थीं. छोटी कंपनियों का मतलब है अधिकतम 10 कर्मचारी वाली कंपनियां. आज ऐसी पांच सौ कंपनियां ही दिवालियेपन के संकट का सामना कर रही हैं. म्यूलर का कहना है कि आज कहीं ज्यादा बड़ी कंपनियों के दिवालिया होने की वजह से दिवालियेपन की प्रक्रिया में ज्यादा आर्थिक नुकसान हो रहा है.

क्रेडिट एजेंसी क्रेडिटरिफॉर्म की दिसंबर महीने की रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि जर्मन कंपनियों का दिवालिया होना 2015 के बाद सीधे 2024 में सबसे ज्यादा था. 2024 में कुल मिला कर 1,21,300 दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया दर्ज हुई है. इसमें सभी तरह का दिवालिया होना शामिल हैं. इस लिहाज से यह इससे पहले के साल की तुलना में करीब 10.6 प्रतिशत ज्यादा है.

आर्थिक संकट की बराबरी!

क्रेडिटरिफॉर्म में आर्थिक रिसर्च के प्रमुख पैट्रिक लुडविष हांश का कहना है, "हाल के वर्षों में संकट कंपनियों पर थोड़ी देरी से दिवालियापन के रूप में प्रहार कर रहा है. इसका मतलब है कि दिवालियापन के आंकड़े बहुत जल्द 2009 और 2010 के बराबर होंगे, उस वक्त 32,000 कंपनियां दिवालिया हुई थीं."

म्यूलर का कहना है कि दिवालिया होने वाली कुछ कंपनियों पर कोविड-19 की महामारी के कारण देर से होने वाले नुकसान का असर हुआ. इसके साथ ही यूरोपीय सेंट्रल बैंक की बेहद कम ब्याज दरों ने भी उन्हें मुश्किल में डाला है.

म्यूलर ने समझाया जिन कंपनियों को सस्ते कर्ज की वजह से फायदा मिला था, अब वो ऊंची ब्याज दरों की मुश्किल से जूझ रही हैं. दिवालियापन, इसमें शामिल कारोबार के लिए काफी मुश्किल होता है लेकिन इन्हें अर्थव्यवस्था में जरूरी समाधान के तौर पर देखा जाता है. विशेषज्ञ यह भी चेतावनी दे रहे हैं कि लंबे समय के लिए पहले से कोई अनुमान लगाना भी फिलहाल अनिश्चित है. म्यूलर ने कहा, "अगर अर्थव्यवस्था उबर जाती है तो भी अगर आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे बिजनेस बचे रह जाते हैं, तो भी दिवालिया होने वालों की संख्या बढ़ती रह सकती हैं."

महंगाई की समस्या

रिपोर्ट लिखते वक्त ही खबर आई कि जर्मनी में महंगाई की दर दिसंबर में साल दर साल के हिसाब से बढ़ कर 2.6 फीसदी हो गई है. इसके साथ ही 2024 के पूरे साल के लिए उपभोक्ता कीमतों की दरें 2.2 फीसदी बढ़ गईं. मुश्किलों में घिरी जर्मन अर्थव्यवस्था के सामने बढ़ती कीमतें एक और बड़ी चुनौती है. अर्थव्यवस्था की मुश्किलें कोरोना वायरस की महामारी के साथ ही शुरू हो गई थीं. इसके बाद फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले ने इसे और बड़ा कर दिया. इन सब के बीच जर्मन कार उद्योग की मुश्किलेंभी काफी बड़ी हैं जो कई तरफ से समस्याओं का सामना कर रही हैं.

ऊर्जा की कीमतें बढ़ने के साथ जर्मनी ने महंगाई की दर को 2022 में 6.9 फीसदी तक बढ़ते देखा. 2023 में भी यह 5.9 फीसदी की दर पर बना रहा. यह 1990 में जर्मन एकीकरण के बाद से सबसे ज्यादा थी. 2024 में कीमतें थोड़ी स्थिर हुईं लेकिन दिसंबर में इसके बढ़ने के संकेत कुछ महीने पहले से ही मिलने लगे थे. सितंबर तक यहां महंगाई की दर 1.6 फीसदी थी.

एनआर/आरपी (डीपीए)