संसद की एक समिति ने भारत सरकार से कहा है कि साल 1849 के बाद ब्रिटिश हुकूमत द्वारा भारत से ले जाए गए कोहिनूर हीरे को वापस लाने के लिए कोई विशेष समझौता किए जाने से देश को 1970 की यूनेस्को संधि का कोई प्रावधान नहीं रोकता है. समिति ने कहा कि भारत संधि के पक्षकार देशों के साथ समझौता कर सकता है, जिससे संधि से पहले भारत से ले जाए गए या चुराए गए पुरावशेषों की वापसी हो सके.
संसद के दोनों सदनों में सोमवार को पेश ‘विरासत से जुड़ी चीजों की चोरी-भारतीय पुरावशेषों का अवैध व्यापार और हमारी मूर्त सांस्कृतिक विरासत का पुनरुद्धार एवं सुरक्षा में आने वाली चुनौतियां’ विषय पर संसदीय समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई.
मुगलों के पतन के बाद कोहिनूर हीरा विभिन्न व्यक्तियों के अधिकार में रहा और बाद में इसे पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने हासिल किया. रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद कोहिनूर हीरा नाबालिग महाराज दलीप सिंह के हाथ में चला गया. साल 1849 में अंग्रेजों ने पंजाब पर कब्जा कर लिया. महाराजा दलीप सिंह जब 10 साल के थे तब उन्होंने लाहौर की संधि पर हस्ताक्षर किए और कोहिनूर हीरे सहित अपनी संपत्ति महारानी विक्टोरिया को सौंप दी. तब से कोहिनूर हीरा अंग्रेजों के पास है.
कोहिनूर आएगा वापस? संसदीय समिति ने सरकार को दी यूनेस्को संधि की मदद लेने की सलाह#kohinoor Koh-i-Noor pic.twitter.com/b3NhX8ca7v
— Shubham Rai (@shubhamrai80) July 30, 2023
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