25 मई: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चीफ यासीन मलिक (Yasin Malik) को टेरर फंडिंग के केस में उम्रकैद की सजा सुनाई है. आतंकी वित्त पोषण के मामले में UAPA के तहत यासीन मलिक को दोषी पाया गया है. अलगाववादी नेता मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता है. फैसले के वक्त पटियाला कोर्ट परिसर की सुरक्षा को बढ़ा दिया गया है. पटियाला कोर्ट के बाहर CAPF, स्पेशल सेल के जवानों की तैनाती की गई है.
कोर्ट ने माना है कि मलिक ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के मकसद से दुनिया भर में एक नेटवर्क स्थापित कर लिया था. NIA ने इस मामले में 30 मई 2017 को केस दर्ज किया था. Terror Funding Case: अलगाववादी नेता यासीन मलिक दोषी करार, 25 मई को होगी सजा पर बहस- बौखलाया पाकिस्तान
मलिक पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) की धारा 16 (आतंकी गतिविधि), धारा 17 (आतंकी फंडिंग), धारा 18 (आतंकी गतिविधि की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) सहित आईपीसी की धारा 120-B (आपराधिक साजिश) और 124-A (राजद्रोह) के तहत केस दर्ज किया गया था. ये मामला 2017 का है. यासीन मलिक ने खुद अपना गुनाह कबूल किया है.
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