Why Snakes Eat Themselves: आखिर सांप खुद को क्यों खाते हैं? जानें सांपों की इस अजीबो-गरीब आदत के बारे में
खुद को खाते हैं सांप (Photo Credits: Video Grab, Wikimedia)

Why Snakes Eat Themselves: दुनिया में सांपों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से सांपों की अधिकांश प्रजातियां विषैली और खतरनाक मानी जाती हैं. यही वजह है कि सांपों का जिक्र करने भर से कई लोगों में डर का माहौल बन जाता है. इंटरनेट पर भी आए दिन सांपों के वीडियो वायरल होते रहते हैं. आपने सांपों से जुड़ी कई बातें सुनी या देखी होंगी, लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि सांप खुद को खाते हैं? (Snakes Eating Themselves) हमारा कहने का मतलब एक सांप द्वारा दूसरे सांप को खाना नहीं है, बल्कि सांप द्वारा अपनी ही पूंछ को काटने और चबाने से है. खुद को खाने की सांपों की इस अजीबो-गरीब आदत (Strange Behaviour of Snakes) को ऑरोबोरोस (Ouroboros) या यूरोबोरोस (Uroboros) कहा जाता है. इस लेख में हम आपको विस्तार से बता रहे हैं कि आखिर सांप खुद को क्यों खाते हैं और ऑरोबोरोस का मतलब क्या है?

सांप खुद को क्यों खाते हैं?

कई बार सांपों को गलती से खुद को खाते हुए देखा गया है. कहा जाता है कि जब सांप भूखा होता है तो अपनी ही पूंछ को गलती से चबाना शुरू कर देता है. अब यह उनके शरीर के तापमान से भी संबंधित हो सकता है. दरअसल, जब सांप के शरीर का तापमान अत्यधिक गर्म हो जाता है तो वो गुस्सा हो जाते हैं. इससे वो भ्रमित हो जाते हैं और दूसरे सांप की पूंछ समझकर वो अपनी पूंछ को ही गलती से चबाने लगते हैं.

हालांकि ऐसे सांप भी होते हैं जो अन्य सांपों को खाते हैं. इनमें किंग स्नेक, कोरल स्नेक, रैटल स्नेक इत्यादि शामिल हैं, इसलिए इस प्रजाति के सांप दूसरे सांप की पूंछ समझकर खुद की पूंछ को काटने लगते हैं. कभी-कभी जब एक सांप को बहुत छोटे बाड़े में रखा जाता है तो समय के साथ तापमान और नमी के कारण वो असहज हो जाते हैं. सांपों का यह तनाव भटकाव में बदल सकता है, जिससे वे खुद को खाने लगते हैं. ऐसा अत्यधिक भूख के मामले में भी हो सकता है. यह भी पढ़ें: Red Coral Kukri Snake: उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क में दिखा दुर्लभ लाल कुकरी सांप, इंटरनेट पर वायरल हुई तस्वीर

देखें वीडियो-

ऑरोबोरोस (Ouroboros)

ऑरोबोरोस खुद को खाने वाले सांपों के इस व्यवहार का एक प्रतीकात्मक शब्द है. यह प्राचीन मिस्र की आइकॉनोग्राफी का प्रतीक है, जिसमें एक सांप अपनी पूंछ खाते हुए गोलाकार में दिखाया गया है. इसे इटर्नल साइक्लिक रिनिवल या साइकल ऑफ लाइफ, मुत्य और पुनर्जन्म के चक्र के प्रतीक के तौर पर समझा जाता है. इसके अलावा यह प्रजनन का भी एक प्रतीक है.

यह दुनिया के सबसे पुराने रहस्यमय प्रतीकों में से एक है. इस अवधारणा का वैदिक ग्रंथों में भी संदर्भ है. प्रथम सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व के वैदिक पाठ ऐतरेय ब्राह्मण (Aitareya Brahmana) में वैदिक अनुष्ठाओं की प्रकृति की तुलना एक सांप द्वारा अपनी ही पूछ कांटने वाले प्रतीक से की जाती है.