जैसा कि राष्ट्र ने रविवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनकी 125 वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) से उनके इस्तीफे की कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. 22 अप्रैल, 1921 को पत्र बोस ने 24 साल की उम्र में लिखा था. यह उस समय के राज्य सचिव एडविन मोंटेगु (Edwin Montagu) को संबोधित है. पत्र में नेताजी मोंटेगु से भारतीय सिविल सेवा में परिवीक्षाधीनों (Probationers) की सूची से अपना नाम हटाने के लिए कह रहे हैं और कहते हैं कि एक बार उनका इस्तीफा स्वीकार हो जाने के बाद वह भारत कार्यालय को 100 पाउंड का भत्ता वापस कर देंगे. यह भी पढ़ें: Subhash Chandra Bose 125th Jayanti 2022: जानें सुभाषचंद्र बोस के जीवन के ऐसे ही रोचक प्रसंग!
पत्र में लिखा है, "मैं चाहता हूं कि मेरा नाम भारतीय सिविल सेवा में परिवीक्षाधीनों की सूची से हटा दिया जाए ... मुझे अब तक सौ पाउंड का भत्ता मिला है, जैसे ही मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाएगा, मैं भारत कार्यालय को राशि भेज दूंगा." बोस ने लिखा. इतिहासकार लियोनार्ड ए गॉर्डन की पुस्तक ब्रदर्स अगेंस्ट द राज: ए बायोग्राफी ऑफ इंडियन नेशनलिस्ट्स शरत और सुभाष चंद्र बोस के अनुसार, नेताजी को अगस्त 1920 में आयोजित प्रतियोगी आईसीएस परीक्षा में चौथा स्थान मिला था.
भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारी परवीन कासवान ने राष्ट्रीय अभिलेखागार भारत से प्राप्त इसकी प्रति अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर की, जिसके बाद से यह वायरल हो गया है. लेटर को ट्वीट करते हुए परवीन कासवान ने लिखा, "22 अप्रैल, 1921 को सुभाष बोस ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए भारतीय सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया.
देखें वायरल लेटर:
On April 22, 1921 Subhash #Bose resigned from Indian Civil Service to participate in Freedom struggle. For a greater cause.
He was 24 years old then. His original resignation letter from service. Tribute on his birth anniversary. pic.twitter.com/Sm9oQ9NIy7
— Parveen Kaswan, IFS (@ParveenKaswan) January 23, 2022
तब से यह लेटर 1.5 हजार से अधिक बार रीट्वीट किया गया है और 7.9 हजार से अधिक यूजर्स द्वारा लाइक किया गया है. ट्वीट का जवाब देते हुए, एक नेटिज़न ने लिखा, "केवल सुभाष बोस जैसी साहसी, निस्वार्थ और उत्साही आत्मा ही इस तरह का निर्णय एक बड़े उद्देश्य- अपनी मातृभूमि को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए ले सकती है"
अप्रैल 1921 में सिविल सेवाओं को छोड़ने के बाद, बोस ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए. उन्होंने 1942 में आजाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) की स्थापना की.