पंजाब: बरगद के इस विशाल वृक्ष को कहा जाता है मौत का पेड़, इसकी छांव में जाने से भी खौफ खाते हैं लोग

चंडीगढ़ से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव के लोगों की मानें तो बरगद का यह पेड़ सैकड़ों साल पुराना है, जिसकी जड़ें निरंतर बढ़ती जा रही हैं. बताया जाता है कि एक दफा जब एक किसान के खेत में इस पेड़ की जड़ें पहुंची तो उसने काट दिया, जिसके कुछ दिन बाद ही उसकी मौत हो गई.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

चिलचिलाती धूप और गर्मी में सुकून पाने के लिए कई लोग वृक्ष (Tree) की शीतल छाया में कुछ देर विश्राम करते हैं. अक्सर लोग अपने स्वार्थ के लिए पेड़ों की कटाई (Cutting the Tree)  करने से नहीं चूकते हैं, लेकिन क्या कोई वृक्ष किसी इंसान की जान ले सकता है. भले ही आपको यह सुनकर हैरानी हो, लेकिन यह सच है. पंजाब (Punjab) के फतेहगढ़ साहिब (Fatehgarh Sahib) के चरोटी कला गांव में करीब 500 साल पुराना एक बरगद का पेड़ (Banyan Tree) स्थित है जिसे मौत का पेड़ (Maut Ka Ped) कहा जाता है. आलम तो यह है कि गांव के लोग बरगद के इस पेड़ की छांव में जाने से भी खौफ खाते हैं.

कहा जाता है कि इस विशाल पेड़ की जड़े अगर किसी किसान के खेत में जाती भी हैं तो वो उस जगह पर खेती करना बंद कर देते हैं. यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो अगर कोई खेत में फैले जड़ को काटने की कोशिश भी करता है तो उसके परिवार के किसी न किसी सदस्य को इसकी कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है. यही वजह है कि लोग इस पेड़ को काटना तो दूर इसकी छांव में जाने से भी डरते हैं.

500 साल पुराना है बरगद का पेड़

चंडीगढ़ से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव के लोगों की मानें तो बरगद का यह पेड़ सैकड़ों साल पुराना है, जिसकी जड़ें निरंतर बढ़ती जा रही हैं. बताया जाता है कि एक दफा जब एक किसान के खेत में इस पेड़ की जड़ें पहुंची तो उसने काट दिया, जिसके कुछ दिन बाद ही उसकी मौत हो गई. तब से लेकर अब तक जिस किसी किसान के खेत में इस पेड़ की जड़ें पहुंचती हैं वो उसे काटने की बजाय चुपचाप उस जगह को ही छोड़ देता है. यह भी पढ़ें: पाकिस्तान: 121 सालों से बेड़ियों में जकड़ा है ये बरगद पेड़, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

क्या कहते हैं स्थानीय लोग?

मौत का पेड़ कहे जाने वाले इस बरगद के वृक्ष को लेकर लोगों का कहना है कि यहां सैकड़ों साल पहले एक संत आए थे और उनसे एक किसान ने संतान प्राप्ति की चाह में भस्म लिया था. जब किसान वो भस्म लेकर अपने घर पहुंचा तो उसकी पत्नी ने उसे खाने से मना कर दिया. पत्नी के मना करने के बाद किसान वो भस्म वापस लौटाने के लिए संत के पास पहुंचा, लेकिन उन्होंने उसे लेने से इंकार कर दिया. इसके बाद किसान ने उस भस्म को वहीं जमीन पर रख दिया. कहा जाता है कि उसी स्थान पर एक बरगद का पेड़ उग आया, जो समय के साथ विशाल होता गया. कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से मन्नत मांगने पर लोगों की मुरादें पूरी होती हैं.

गौरतलब है कि सैकड़ों साल पुराने मौत के इस पेड़ की जड़ें जिस किसी के खेत में जाती हैं वो वह खेत छोड़ देता है. अनहोनी और मौत के खौफ के चलते लोग इस पेड़ को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाने से डरते हैं.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.

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