15 जनवरी को खशाबा दादासाहेब जाधव की 97वीं जयंती है, जो स्वतंत्र भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाले पहले व्यक्तिगत एथलीट हैं. Google ने आक एक खास डूडल बनाकर आज पहलवान खाशाबा दादासाहेब को याद किया है, इन्हें प्यार से 'पॉकेट डायनमो' के नाम से भी जाना जाता है. 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में, जाधव ने जर्मनी, मैक्सिको और कनाडा के खिलाड़ियों को हराकर कांस्य पदक अर्जित किया. हालांकि, 1952 से पहले ही कोल्हापुर के महाराज की नजर इस पहलवान की प्रतिभा पर पड़ी थी. उन्होंने लंदन में 1948 के ओलंपिक खेलों में जाधव की भागीदारी को निधि देने का फैसला किया. अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती नियमों के अभ्यस्त नहीं होने और अत्यधिक अनुभवी पहलवानों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बावजूद, जाधव छठे स्थान पर रहे, जो उस समय के दौरान एक भारतीय पहलवान के लिए सर्वोच्च स्थान था. यह भी पढ़ें: Marie Tharp Doodle: गूगल ने इंटरएक्टिव डूडल के साथ अमेरिकी भूविज्ञानी मैरी थार्प को किया याद
ऐसा कहा जाता है कि उनके कुशल दृष्टिकोण और हल्के पैरों ने उन्हें अपने करियर की शुरुआत में सर्वश्रेष्ठ एथलीटों में से एक बना दिया. जाधव ने अपने पिता (जो एक पहलवान भी थे) और अन्य पेशेवर पहलवानों से प्रशिक्षण लेकर कई राज्य और राष्ट्रीय खिताब जीते थे. हालांकि, घुटने की चोट के कारण हेलसिंकी ओलंपिक में जीत के बाद जाधव अपने कुश्ती करियर को जारी नहीं रख सके. बाद में उन्होंने एक पुलिस अधिकारी के रूप में काम किया.
1984 में उनकी मृत्यु के बाद महाराष्ट्र सरकार ने मरणोपरांत छत्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया. साल 2010 में दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों के लिए कुश्ती स्थल का नाम भी उनके सम्मान में रखा गया.