Fact Check: कोरोना वायरस (Coronavirus) पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रहा है और दुनिया के तमाम देश इस महामारी (Pandemic) से लड़ाई लड़ रहे हैं. कोविड-19 (COVID-19) से जारी लड़ाई के बीच सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही गलत जानकारियों और फर्जी खबरों से निपटना भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. आए दिन कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) से जुड़ी कई फर्जी खबरें और जानकारियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिन पर लगाम लगाना बेहद मुश्किल साबित हो रहा है. दरअसल, ये फर्जी खबरें लोगों को भ्रमित और गुमराह करने के मकसद से फैलाई जा रही हैं, आलम तो यह है कि कई लोग ऐसी खबरों की सत्यता जांचे बगैर ही उन्हें व्यापक तौर पर शेयर भी कर रहे हैं. इन फर्जी खबरों और जानकारियों की लिस्ट में अब एक और खबर वायरल हो रही है.
सोशल मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप पर इन दिनों एक नया मैसेज वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि साल 1990-2020 के दौरान काम करने वाले मजदूर श्रम मंत्रालय (Labour Ministry) से 120000 रुपए पाने के हकदार हैं. यह मैसेज तेजी से वॉट्सऐप पर वायरल (WhatsApp Viral Message) हो रहा है. इस मैसेज में किए जा रहे दावे की हकीकत जानने के लिए पीआईबी ने तथ्य की जांच (PIB Fact Check) की, जिसमें इस दावे को फर्जी और निराधार बताया गया है. यह भी पढ़ें: Fact Check: क्या गुवाहाटी को रेड जोन घोषित किया गया है? खबर वायरल होने के बाद असम सरकार ने दी सफाई, जानें सच्चाई
पीआईबी फैक्ट चेक का ट्वीट-
Claim- A whatsapp message circulating, claims that workers who worked during 1990-2020 are entitled to receive Rs 120000 from Labour Ministry.#PIBFactCheck: Its #FakeNews! There is no such announcement by Govt. of India. Beware of such fraudulent websites. pic.twitter.com/qyS0mDmQW4
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) May 14, 2020
पीआईबी फैक्ट चेक ने साल 1990-2020 के दौरान काम करने वाले मजदूर श्रम मंत्रालय से 120000 रुपए पाने के हकदार है, इस दावे के साथ वायरल हो रहे वॉट्सऐप मैसेज को गलत और भ्रम पैदा करने वाला करार दिया है, क्योंकि सरकार द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है. इसके साथ पीआईबी ने लोगों से ऐसी फर्जी वेबसाइटों से सावधान रहने की अपील की है. यह भी पढ़ें: Fact Check: क्या सरकार ने 5 चरण में लॉकडाउन प्रतिबंधों को कम करने की बनाई है योजना? PIB ने बताई वॉट्सऐप पर वायरल हो रहे इस खबर की सच्चाई
गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली अफवाहों के सच को उजागर करने के लिए 'पीआईबी फैक्ट चेक' (PIB Fact Check) यूनिट बनाई है. कोरोना संकट की घड़ी में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे फर्जी खबरों पर आंख बंद करके भरोसा करने के बजाय कोरोना वायरस से जुड़ी सत्यापित खबरें और लेटेस्ट अपडेट पाने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आधिकारिक वेबसाइट mohfw.gov.in - या LatestLY.com पर विजिट करें.
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साल 1990-2020 के दौरान काम करने वाले मजदूर श्रम मंत्रालय से 120000 रुपए पाने के हकदार हैं.
यह वॉट्सऐप वायरल मैसेज फर्जी है, क्योंकि सरकार द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं की गई है.