बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने कहा- सीएए भारत का 'आंतरिक मामला' है
शेख हसीना (Photo Credit-File Photo)

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना का मानना है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) भारत का 'आंतरिक मामला' है, लेकिन उन्होंने कानून को 'अनावश्यक' बताया. इस कानून का मकसद तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक रूप से सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करना है. हसीना ने यह बात अबुधाबी में गल्फ न्यूज से एक साक्षात्कार में कही, जहां वह उच्चस्तरीय द्विपक्षीय बैठक के लिए दौरे पर हैं. हसीना ने गल्फ न्यूज से कहा, "हम नहीं समझते कि (भारत सरकार) ने ऐसा क्यों किया. यह जरूरी नहीं था." उन्होंने कहा, "बांग्लादेश ने हमेशा कहा है कि सीएए और एनआरसी भारत का आंतरिक मामला हैं. भारत सरकार ने भी अपनी तरफ से बार-बार यह कहा है कि एनआरसी भारत का आंतरिक कार्य है और प्रधानमंत्री मोदी ने मुझे निजी तौर पर अक्टूबर 2019 की नई दिल्ली के यात्रा के दौरान ऐसा ही भरोसा दिया है."

संसद में सीएए 11 दिसंबर 2019 को पारित हुआ. इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान से धार्मिक रूप से सताए गए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थी जो दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हैं, उन्हें नागरिकता देने का प्रावधान है. कानून बीते महीने प्रभावी हुआ. देश में विपक्ष और कुछ युवा संगठन सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कुछ विरोध हिंसक भी हो गए. सीएए पास होने के तुरंत बाद ढाका ने नई दिल्ली में अपनी उच्चस्तरीय यात्राओं और बैठकों को रद्द कर दिया. हसीना का कानून को अब 'अनावश्यक' बताना, बांग्लादेश की चिंताओं के मद्देनजर है, कि सीएए से अवैध प्रवासी जो भारत में रह रहे हैं, उनका फिर से बांग्लादेश की तरफ प्रवासन शुरू हो जाएगा.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा- क्रिकेटर शाकिब अल हसन को अपनी गलती का अहसास है

हालांकि, हसीना ने अपने साक्षात्कार में कहा कि भारत से बांग्लादेश में प्रवासन नहीं हो रहा है. बांग्लादेश ने इससे भी इनकार किया कि हिंदुओं का बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न हो रहा है. हसीना ने अस्पष्ट तौर पर गल्फ न्यूज से कहा, "लेकिन भारत में लोग ज्यादा दिक्कतों का सामना कर रहे हैं." हालांकि, विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि सीएए एक आंतरिक मामला है. अधिकारी ने नाम गोपनीय रखने की बात पर कहा, "जरूरी या गैरजरूरी यह समझ की बात है. इसे संसद द्वारा पारित किया गया है."