आज के समय में महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा काफी बढ़ गया है. यह रोग भारत सहित संपूर्ण विश्व भर में एक बड़ी समस्या बन गया है. भारत में, महिलाओं में पाये जाने वाले सभी तरह के कैंसरों में से पचीस से इकतीस प्रतिशत कैंसर स्तन कैंसर होते हैं. हाल ही में हुए टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल ने एक अध्ययन किया जिसमें उन्होंने पाया की स्तन कैंसर के रोगियों के उपचार में योग को शामिल करना बहुत लाभकारी है. कैंसर के इलाज में योग को शामिल करने से रोग मुक्त उत्तरजीविता (disease free survival, DFS) में 15 प्रतिशत और समग्र उत्तरजीविता (Overall Survival, OS) में 14 प्रतिशत सुधार देखा गया है. यह भी पढ़ें: Tea As National Drink: जल्द चाय बन सकती है राष्ट्रीय ड्रिंक, असम के BJP पबित्रा मार्गेरिटा ने की मांग
कैसे हुआ अध्ययन
स्तन कैंसर उपचार में योग को सावधानीपूर्वक स्तन कैंसर के रोगियों और स्तन कैंसर से ठीक हुई महिलाओं की जरूरतों के, उनके उपचार और रिकवरी के हिसाब से शामिल किया गया. शामिल करने से पहले योग सलाहकारों, चिकित्सकों के साथ-साथ फिजियोथेरेपिस्ट से सुझाव भी लिए गए. योग प्रोटोकॉल में नियमित रूप से विश्राम और प्राणायाम की अवधि के साथ स्वास्थ्यकर आसनों को शामिल किए गया. यह योग प्रोटोकॉल योग्य और अनुभवी योग प्रशिक्षकों द्वारा कक्षाओं के माध्यम से लागू किया गया था. इसके अतिरिक्त, अनुपालन बनाए रखने के लिए प्रोटोकॉल के हैंडआउट और सीडी प्रदान किए गए थे.
योग से स्तन कैंसर की पुनरावृत्ति और इससे होने वाली मृत्यु के जोखिम में 15 प्रतिशत तक कमी
स्तन कैंसर के उपचार में योग के उपयोग का क्लीनिकल ट्रायल एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. स्तन कैंसर न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर महिलाओं को प्रभावित करता है. यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन यह सामान्यत: चालीस वर्ष की आयु से ऊपर की महिलाओं में सबसे अधिक पाया जाता है. स्तन कैंसर विकसित होने की औसत उम्र में महत्वपूर्ण बदलाव आया है. अब यह रोग पचास से सत्तर वर्ष की बजाए तीस से पचास वर्ष में विकसित हो जाता हैं. अब अध्ययन में ये बात निकल कर आई है की निरंतर योग अभ्यास करने से स्तन कैंसर की पुनरावृत्ति और इससे होने वाली मृत्यु के जोखिम को 15 प्रतिशत तक की कमी आई है.
योग और भारत
योग को भारत में प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने भी कई कदम उठायें है, आइए जानते है-
सरकार का आयुष मंत्रालय विश्व स्तर पर योगाभ्यास अपनाने और स्वीकार करने में सुगमता के विज़न के साथ सक्रिय कार्य कर रहा है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस आयुष मंत्रालय के प्रमुख कदमों में एक है. इसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिली है. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का उद्देश्य दुनियाभर के लोगों को योग के लाभ के बारे में बताना और योग के माध्यम से स्वास्थ्य तथा आरोग्य में लोगों की रुचि बनाने के उपाय करना है.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2016 में दूसरे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दो श्रेणियों एक राष्ट्रीय और एक अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी में योग पुरस्कार की घोषणा की. इन पुरस्कारों की घोषणा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर की जाती है. पुरस्कारों का उद्देश्य योग प्रोत्साहन और विकास से सतत रूप में समाज पर महत्वपूर्ण प्रभाव छोड़ने वाले व्यक्तियों/संगठनों को मान्यता देना है.
समग्र स्वास्थ्य के लिए योग को प्रोत्साहित करने के प्रयास से कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय के अधीन ब्यूटी एंड वेलनेस सेक्टर स्किल काउंसिल (बीएंडडब्ल्यूएसएससी) ने योग के क्षेत्र में विभिन्न कैरियर संभावनाओं को पैदा करने तथा अच्छे भविष्य के लिए योग को अपनाने में युवाओं को प्रोत्साहित करने का काम कर रहा है. बीएंडडब्ल्यूएसएससी योग के लिए तीन विशेष पाठ्यक्रम - योग इंस्ट्रक्टर, योग प्रशिक्षक तथा वरिष्ठ योग प्रशिक्षक चलाती है.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर योग में अध्ययन को मान्यता दी है. यूजीसी ने जनवरी, 2017 से योग को एक नए राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) विषय के रूप में भी पेश किया है. इसके अलावा, उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) पोर्टल 2019-20 के अनुसार, 131 विश्वविद्यालय योग से संबंधित पाठ्यक्रम प्रदान कर रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
साल 2014 में प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी ने यूएन में अपने भाषण में योग दिवस को मनाने की पहल की थी. साल यूएन में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई. योग दिवस प्रस्ताव को यूएन के 193 सदस्य देशों का समर्थन मिला. प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की घोषणा की गई और 21 जून 2015 को प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. प्रथम बार योग दिवस के अवसर पर 192 देशों में योग का आयोजन किया गया जिसमें 47 मुस्लिम देश भी हैं.