World Theatre Day 2019: विश्व रंगमंच दिवस आज, जानिए क्या है इसका इतिहास और महत्व
विश्व रंगमंच दिवस 2019 (Photo Credits: Pixabay)

World Theatre Day 2019: हर साल 27 मार्च को दुनिया भर में विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) मनाया जाता है. दुनिया के सबसे बड़े प्रदर्शनकारी कला संगठन यानी इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (International Theatre institute) के कई देशों में 90 से अधिक संस्थान हैं. इस दिन इंटरनेशनल थियेटर इंस्टीट्यूट कई देशों में स्थित 90 से ज्यादा अपने रंगमंच से संबंधित संस्थाओं और समूहों द्वारा इस दिन को विशेष रूप से आयोजित करता है, ताकि विश्व रंगमंच दिवस का संदेश विश्व की जनता तक प्रसारित किया जा सके. यह दिन उन लोगों के लिए बेहद खास है जो थिएटर के मूल्य व महत्व को समझते हैं और रंगमंच का हिस्सा बनकर सरकारों, राजनेताओं और संस्थाओं को जगाने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं.

दुनिया भर में रंगमंच को बढ़ावा देने और लोगों को रंगमंच के सभी रूपों और मूल्यों से रूबरू कराना ही इस दिन को मनाने का मकसद है. विश्व रंगमंच दिवस रंगकर्मी द्वारा रंगमंच और शांति की संस्कृति के विषय पर उसके विचारों को व्यक्त करता है. बता दें कि साल 1962 में पहला अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संदेश फ्रांस की जीन काक्टे ने दिया था. फिर साल 2002 में यह संदेश भारत के मशहूर रंगकर्मी गिरीश कर्नाड ने दिया था.

विश्व रंगमंच दिवस का इतिहास

विश्व रंगमंच दिवस की स्थापना साल 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (International Theatre Institute) द्वारा की गई थी. उसके बाद से ही हर साल 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस मनाया जा रहा है. विश्व के कलाकारों को सम्मान देने और उनके कला प्रदर्शन को प्रोत्साहित करने के मकसद से विश्व रंगमंच दिवस की शुरुआत की गई. यह कलाकारों को उनकी भावनाओं तथा संदेशों को व्यापक तौर पर दर्शकों तक पहुंचाने के लिए एक मंच प्रदान करता है.

भारत में रंगमंच का इतिहास है पुराना

बात करें भारत के रंगमंच की तो यहां इसके इतिहास को काफी पुराना माना जाता है. कहा जाता है कि नाट्यकला का विकास सबसे पहले भारत में ही हुआ था. ऋगवेद के कतिपय सूत्रों में यम और यमी, पुरुरवा और उर्वशी के कुछ संवाद हैं. इन संवादों में लोग नाटक के विकास को चिह्नित कर पाते हैं. मान्यता है कि इन्ही संवादों से प्रेरित होकर नाटक की रचना की गई और नाट्यकला का विकास हुआ.

छत्तीसगढ़ स्थित रामगढ़ के पहाड़ पर कालिदास जी द्वारा निर्मित एक प्राचीन नाट्यशाला मौजूद है. मान्यताओं के अनुसार महाकवि कालिदास ने इसी स्थान पर मेघदूत की रचना की थी. इसके आधार पर कहा जाता है कि अम्बिकापुर जिले के रामगढ़ पहाड़ पर स्तिथ यह नाट्यशाला कालिदास जी द्वारा निर्मित भारत की सबसे पहली नाट्यशाला है. यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2019: 6 अप्रैल से शुरू हो रही है चैत्र नवरात्रि, जानें किस दिन करनी चाहिए किस शक्ति की पूजा

विश्व रंगमंच दिवस का महत्व

दुनिया भर में देश के आईटीआई (इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट) सदस्यों द्वारा कई कार्यक्रम और रंगमंच कार्यक्रम (थिएटर शो) आयोजित किए जाते हैं. इसके जरिए कला प्रदर्शन के मूल्यों और महत्व को चिह्नित करने और दुनिया भर में सरकार को रंगमंच सूमहों का विस्तार करने का महत्व समझाया जाता है. हर साल विश्व रंगमंच दिवस पर अंतरराष्ट्रीय संदेशों को संबोधित करने के लिए प्रदर्शन कला के क्षेत्र से खास व्यक्तियों को चुना जाता है.

गौरतलब है कि प्राचीन काल से ही रंगमंच कलाकारों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के लिए एक मंच तैयार करने के रूप में काम कर रहा है. रंगमंच आम जनता से संबंधित सामाजिक मुद्दों को उजागर करने के लिए एक मंच तैयार कर रहा है.