World Aids Vaccine Day 2023: एड्स और एचआईवी में क्या फर्क है? जानें इस दिवस का इतिहास एवं इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें!
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एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इससे संबंधित टीका की अधिकतम लोगों को जानकारी पहुंचाने के लिए प्रति वर्ष 18 मई को विश्व एड्स वैक्सीन दिवस मनाया जाता है. इसे एचआईवी वैक्सीन अवेयरनेस डे के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus) संक्रमण से सुरक्षित रहने के टीके के महत्व के बारे में बताया जाता है. इसके साथ यह एचआईवी निवारक वैक्सीन की खोज में योगदान देने वाले स्वयंसेवकों, चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों के प्रति आभार व्यक्त करने का भी दिन है. यह भी पढ़ें: World Hypertension Day 2023: आज है विश्व उच्च रक्तचाप दिवस? हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक से बचने के लिए ऐसे पायें इस पर नियंत्रण!

हालांकि तमाम शोधों के बावजूद, अभी भी एचआईवी से ताउम्र सुरक्षित रखने वाला कोई वैक्सीन नहीं आया है. इस दिवस का आयोजन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इनफेक्शियस डिजीज द्वारा किया जाता है. इस विश्व एड्स टीका दिवस पर आइये जानते हैं इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां.

एचआईवी/एड्स के उपचार और प्रबंधन में महत्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, वायरस एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 तक करीब 38 मिलियन लोग एचआईवी/एड्स के साथ जी रहे थे. इस वर्ष, एड्स से करीब 6 लाख 90 हजार लोगों की जान जा चुकी है. एचआईवी/एड्स के खिलाफ लड़ाई में एक सुरक्षित और प्रभावी टीके का विकास एक महत्वपूर्ण घटक बना हुआ है.

एचआईवी क्या है?

एचआईवी एक प्रकार का वायरस है, जो मनुष्य के इम्यून सिस्टम पर हमला कर उसे कमजोर करता है. यह वायरस इम्यून सिस्टम पर तब तक अटैक करता रहता है, जब तक व्यक्ति की मृत्यु नहीं हो जाती. एचआईवी का पूरा नाम ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस है. कोई कोई व्यक्ति जब एचआईवी से संक्रमित होता है तो उसका शरीर संक्रमणों और बीमारियों से नहीं लड़ पाता है. एचआईवी वायरस इम्यून सिस्टम के टी सेल्स को नष्ट कर उनके अन्दर स्वयं की प्रतिकृति (replication) बना लेता है. यदि समय रहते एचआईवी वायरस का उपचार न किया जाए तो शरीर में इंफेक्शन बढ़ने लगते हैं. यही एड्स का कारण बन सकता है.

फर्क एचआईवी एवं एड्स में?

एड्स वास्तव में एचआईवी का ही विस्तृत रूप है. एड्स को एचआईवी का अंतिम चरण कहा जा सकता है. एड्स एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome) तब होता है, जब व्यक्ति का इम्यून सिस्टम इंफेक्शन से लड़ने में कमजोर पड़ जाता है. अर्थात जब एचआईवी वायरस का इंफेक्शन बहुत बढ़ जाता है. जिसके चलते शरीर स्वयं की रक्षा नहीं कर पाता और शरीर में तमाम बीमारियां एवं संक्रमण होने लगते हैं. अभी तक एचआईवी और एड्स का कोई इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है, लेकिन एचआईवी पीड़ित व्यक्ति का समय पर सही इलाज किया जाये तो ना केवल उसकी जिंदगी बचाई जा सकती है, बल्कि वह आम स्वस्थ जीवन भी जी सकता है.

कब होता है एड्स?

* गर्भवती महिला एचआईवी वायरस ग्रस्त है, तो जन्म लेने वाले बच्चे में भी यह वायरस आ सकता है.

* जब एचआईवी पॉजिटिव मरीज से असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाया जाता है.

* एचआईवी ग्रस्त माँ अगर बच्चे को स्तनपान कराती है, तब बच्चे को भी एचआईवी का जोखिम हो सकता है.

* एचआईवी के मरीज के शरीर में इस्तेमाल किया गया सिरिंज किसी भी सामान्य व्यक्ति के लिए किया जायेगा, तो वह भी एड्स ग्रस्त हो सकता है.

* एचआईवी पीड़ित व्यक्ति का रक्त किसी दूसरे व्यक्ति में चढ़ाने से एचआईवी वायरस हो सकता है.