हार्ट अटैक क्यों बन रहे हैं साइलेंट किलर? अटैक से पहले शरीर से मिलते हैं ये संकेत! जानें क्या कहते हैं दिल्ली के कार्डियोलॉजिस्ट?

गत वर्ष 2 सितंबर को सिद्धार्थ शुक्ला (40) के निधन की पहली बरसी भी नहीं हुई थी कि कोलकाता में पार्श्वगायक केके (43) की मौत ने एक बार फिर सडन डेथ में हार्ट अटैक की खतरनाक भूमिका को चर्चा में ला दिया है. इससे एक दिन पूर्व मलयालम गायक बसीर की मृत्यु भी कंसर्ट के दौरान दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. 46 साल पूर्व 27 अगस्त 1976 के दिन प्रसिद्ध पार्श्वगायक मुकेश (53) की मृत्यु भी डेट्रायट (अमेरिका) में कंसर्ट के दौरान हुई थी. हार्ट अटैक से अचानक होनेवाली मृत्यु की इस श्रृंखला में आर डी बर्मन, मो. रफी, जयकिशन (शंकर जयकिशन) जैसी तमाम सेलिब्रिटीज शामिल हैं. आखिर यह कैसा हार्ट अटैक है कि व्यक्ति को अस्पताल जाने तक का मौका नहीं देता. इस विषय पर दिल्ली के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आजाद तोमर से विस्तार से बात होती है. आइये जानें क्या कहते हैं कार्डियोलॉजिस्ट....

असमय मृत्यु की वजह

पिछले कुछ सालों में 40 से 55 साल की उम्र में हार्ट अटैक से होने वाली मृत्यु दर में वृद्धि हुई है. डॉक्टर तोमर इसे गंभीर मसला मानते हुए बताते हैं कि इसका मुख्य कारण मोटापा, जरूरत से ज्यादा काम का बोझ लेना, डायबिटीज, उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप हो सकता है. इसके साथ-साथ आज लोगों की लाइफ स्टाइल पूरी तरह से बदल गई है, असमय सोना, असमय जागना, फास्ट फूड का आकर्षण, ज्यादा स्पाइसी चीजों का सेवन, फलों एवं पौष्टिक खाद्य-पदार्थों के महत्व को ना समझना जैसी बातें हार्ट अटैक की समस्याओं को बढाती हैं.

साइलेंट हार्ट अटैक

नये शोधों से पता चलता है कि हार्ट अटैक के लगभग 50 फीसदी मामले साइलेंट होते हैं, यानी इसमें कोई लक्षण नजर नहीं आते. डॉक्टर तोमर के अनुसार, हार्ट अटैक के सामान्य लक्षणों के बिना होने वाले हार्ट अटैक को साइलेंट किलर कहते हैं. इस स्थिति में हृदय की मांसपेशियों की तरह बढ़ने वाला रक्त प्रवाह काफी कम हो जाता है, अथवा पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है. कई बार तो ऐसी स्थिति हो जाती है कि मरीज मदद के लिए किसी को बुला भी नहीं पाता. गत वर्ष अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला साइलेंट हार्ट अटैक के ही शिकार बने थे,

ये संकेत हो सकते हैं हार्ट अटैक के

डॉक्टर आजाद तोमर के अनुसार हार्ट अटैक आने से पहले ये कुछ संकेत मिलने शुरु हो जाते हैं, अगर मरीज को बिना समय गंवाए किसी योग्य कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाएं तो काफी हद मरीज की जान बचाई जा सकती है. लेकिन ऐसी स्थिति में मरीज के साथ किसी एक व्यक्ति का रहना जरूरी है. बेहतर होगा कि वह फोन पर लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहे.ताकि समय के साथ वह डॉक्टर के निर्देशों का पालन करे. यह भी पढ़ें : इस साल यूपी में आम का उत्पादन 80 प्रतिशत घटा

*  असामान्य रूप से दिल धड़क रहा हो

* सीने में बाईं ओर दर्द तथा जकड़न महसूस होना. यह संकेत हार्ट ब्लॉकेज के कारण हो सकता है. यह दर्द तेज अथवा हलका दोनों तरह का हो सकता है.

* बिना वजह बायें कंधे में दर्द महसूस होना.

* सामान्य मौसम में या एसी कमरे में भी पसीना आना.

* मिचली महसूस होना अथवा निरंतर उल्टी आना.

* सांस लेने में दिक्कत महसूस होना.

* घबराहट महसूस होने के साथ चक्कर आना.

* बहुत कमजोरी महसूस होना अथवा हाथ-पैर का ठंडा होना.

ये सभी समस्याएं हार्ट अटैक से जुड़ी होती हैं, उन्हें अक्सर मरीज समझ नहीं पाता और घरेलू इलाज कर खुद को खतरे में डालता है, यही जानलेवा साबित होता है. डॉक्टर तोमर कहते हैं, हो सकता है कि उपरोक्त लक्षणों पर आप डॉक्टर से मिले और आपकी सारी रिपोर्ट नार्मल आयें. लेकिन यह सतर्कता आपको हार्ट अटैक के खतरों से निश्चिंत करती हैं.